रेलवे और इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर (Railway Infrastructure Development)के विकास को लेकर केंद्र सरकार बहुत तेजी से निजीकरण (Privatisation of railway)की तरफ बढ़ रही है। आने वाले कुछ सालों में नई दिल्ली और मुंबई (छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस ) रेलवे स्टेशन का नया-रंग रूप दिखेगा।

नई दिल्ली और मुंबई रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प करने के लिए दो दर्जन से अधिक प्राइवेट कंपनियां रेस में हैं। इस रेस में टाटा प्रॉजेक्ट्स, अडाणी ग्रुप, जीएमआर ग्रुप, Anchorage Infrastructure, स्टेट ओन्ड रेलवे कंपनी, SNCF जैसी कंपनियां शामिल हैं। मास्टर प्लान के तहत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और आसपास के 5 लाख स्क्वॉयर मीटर एरिया और मुंबई रेलवे स्टेशन और आसपास के 2.6 लाख स्क्वॉयर मीटर एरिया का कायाकल्प किया जाएगा।

नई दिल्ली के लिए 6 नवंबर तक बोली

25 सितंबर को इसको लेकर एक बैठक हुई थी जिसमें ये कंपनियां शामिल हुईं थीं। रेल लैंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (RLDA) ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख 6 नवंबर रखी है। रेलवे की कोशिश है कि री-डिवेलपमेंट का काम हर हाल में 2025 तक पूरा कर लिया जाए। मास्टर प्लान के तहत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का सौंदर्यीकरण किया जाएगा और इसे वर्ल्ड क्लास वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा।

वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की योजना स्टेशन के आसपास के एरिया में रीटेल आउटलेट खुलेंगे। इसके अलावा ऑफिस के लिए स्पेशल स्पेस, हॉस्पिटैलिटी स्पेस, 5 स्टार होटल, बजट होटल, सर्विस अपार्टमेंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। प्लान के मुताबिक स्टेशन के आसपास 30 एकड़ एरिया में ये सब बनाए जाएंगे। यह एरिया करीब 5 लाख स्क्वॉयर मीटर का होगा। कुल मिलाकर आसपास एक नया शहर बसाया जाएगा, जहां सारी सुविधाएं मौजूद होंगी।

6500 करोड़ का होगा निवेश बात अगर मुंबई की करें तो वहां स्टेशन के साथ-साथ आसपास के 2.6 लाख स्क्वॉयर मीटर एरिया को इसी तरह टूरिज्म और कमर्शल पर्पस के रूप में विकसित किया जाएगा। रेलवे को उम्मीद है कि उसे अच्छी खासी बोली मिलेगा, क्योंकि प्राइवेट प्लेयर्स को 60 सालों के लिए छूट मिलेगी। ऐसे में उन्हें अपने इन्वेस्टमेंट पर अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इस प्रॉजेक्ट के शुरू होने के बाद पूरा होने में 4 साल का वक्त लगेगा। दोनों स्टेशनों के विकास के लिए करीब 6500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।