बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। टैक्सपेयर्स की उम्मीदों एक बार फिर जोर मारने लगी हैं। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर अगले साल आम चुनाव होंगे। इसलिए इस बजट को अहम माना जा रहा है। टैक्सपेयर्स को लग रहा है कि अभी नहीं तो कभी नहीं। जानिए क्या राहत दे सकती हैं वित्त मंत्री…

हाइलाइट्स

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट पेश करेंगी
  • नौ साल बाद टैक्सपेयर्स को टैक्स में राहत मिल सकती है
  • यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finace Minister Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का बजट पेश करेंगी। एक बार फिर इनकम टैक्स को लेकर मिडिल क्लास की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं। माना जा रहा है कि नौ साल बाद इनकम टैक्स को लेकर कुछ बड़ी घोषणा हो सकती है। इसकी वजह यह है कि यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट है। इस साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को अगले साल होने वाले आम चुनावों का सेमीफाइनल माना जाता है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस बार बजट में इनकम टैक्स में मिडिल क्लास के लिए कुछ अहम घोषणा कर सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वित्त मंत्री बजट में टैक्सपेयर्स (Income Tax Payers) के लिए खुशखबरी दे सकती हैं। अभी 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर इनकम टैक्स नहीं लगता है। अब इस सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है। साथ ही पांच से 10 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले स्लैब में बड़ा बदलाव हो सकता है। फिलहाल इस स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। सरकार 10 फीसदी का नया स्लैब जोड़ने का प्लान बना रही है। बजट में इसकी घोषणा हो सकती है।

अभी कितना लगा है टैक्स

अगर ऐसा हुआ तो 10 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले टैक्सपेयर्स को कम टैक्स देना होगा। फिलहाल 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं है। इस समय पुराने टैक्स सिस्टम में पांच टैक्स स्लैब हैं। इसमें 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री है। वहीं, 2.5 से पांच लाख तक की इनकम पर पांच फीसदी, पांच से 10 लाख तक की इनकम पर 20 फीसदी टैक्स, 10 से 20 लाख रुपये तक की इनकम पर 30 फीसदी और 20 लाख से ऊपर वाली इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। नई व्यवस्था में 2.5 लाख से पांच लाख रुपये तक पांच फीसदी, पांच से 7.5 लाख रुपये तक 10 फीसदी, 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक 15 फीसदी, 10 से 12.5 लाख रुपये तक 20 फीसदी, 12.5 लाख से 15 लाख रुपये तक 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से अधिक की सालाना इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है।

इससे पहले अंतिम बार 2014 में पर्सनल टैक्स छूट की सीमा में बदलाव किया गया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे दो लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने की घोषणा की थी। अब नौ साल बाद सरकार एक बार फिर टैक्सपेयर्स को राहत दे सकती है। अधिकारियों का कहना है कि इससे टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी तो उनके हाथ में निवेश के लिए ज्यादा पैसा रहेगा।