साल के अंतिम महीने में रेलवे ने अपने ट्रैकमैन को तगड़ा झटका दे दिया है। हर दिन पटरियां निहारने वाले ट्रैकमैन का दूसरे विभागों में जा कर दफ्तर वाले बाबू की तरह काम करने का सपना अभी सपना ही रहेगा। उनके दूसरे विभागों में ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई है। झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक फैले धनबाद रेल मंडल के साथ-साथ पूर्व मध्य रेल के दानापुर, सोनपुर, समस्तीपुर और पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेल मंडल में इसे तत्काल प्रभावी करने का आदेश जारी किया गया है।

ट्रैकमैन के 2401 पद खाली, मैन पावर में भारी कमी 

रेलवे के ट्रैकमैन के दूसरे विभागों में ट्रांसफर पर रोक का आदेश पूर्व मध्य रेल के प्रधान मुख्य अभियंता दिनेश कुमार ने जारी कर दिया है। तर्क यह है कि वर्तमान में पूर्व मध्य रेल में ट्रैकमैन श्रेणी के कर्मचारियों के स्वीकृत पदों की तुलना में 2401 पद खाली हैं। इसके साथ ही कई नए रेलखंड तैयार हुए हैं जिनके लिए मैन पावर स्वीकृत नहीं हुए हैं। इससे इस श्रेणी में मैन पावर की घोर कमी हो गई है। 

रिक्तियां पांच फीसदी से कम होने तक रोक

ट्रैकमैन का काम बेहद चुनौतीपूर्ण है। यही वजह है कि उन्हें दूसरों विभागों में ट्रांसफर को लेकर रेल मंत्रालय तक प्रस्तावों की लंबी लिस्ट हैं। जोनल स्तर पर ही ट्रैकमैन को दूसरे विभागों में ट्रांसफर की मांगे होती रहती हैं। इसके मद्देनजर रेलवे बोर्ड ने ट्रैकमैन पद के 10 फीसद को दूसरे विभागों में ट्रांसफर की अनुमति पहले से ही दी है। पर, लगभग ढाई हजार खाली पद को

ठंड बढ़ते ही ट्रैक पर बढ़ा खतरा, ट्रैकमैन पर काम का बोझ

ठंड बढ़ते ही रेलवे ट्रैक के सिकुड़ने, दरार पड़ने और चटकने का खतरा बढ़ने के साथ ही हादसे की संभावना और यात्रियों के जीवन पर खतरा भी बढ़ गया है। इससे ट्रैकमैन की जिम्मेदारी और काम का बोझ भी बढ़ा है। सीमित कर्मचारियों से ही समय पर ट्रैक मेंटेनेंस जरूरी है। उन्हें दूसरे विभागों में ट्रांसफर की अनुमति न देने की यह भी बड़ी वजह है। 

लेकर ट्रांसफर पर जोनल स्तर पर रोक लगाई गई है। रोक तब तक प्रभावी होगा जब तक रिक्तियां पांच फीसद से कम न हो जाएं।