रेलवे में नौकरी के नाम पर दो भाइयों से हुई 22 लाख की ठगी के मामले में सीजेएम कोर्ट ने 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए है। आरोपितों में पद के नाम से दो रेलवे के अधिकारियों के अलावा पांच सगे भाई, उनकी बहन व बहनोई शामिल हैं। सदर बाजार थाना पुलिस का कहना है कि अभी उन्हें आदेश नहीं मिला है।

यह है मामला

खलासी लाइन निवासी कमल किशोर यादव के दो बेटे रोहित और मोहित ने बताया कि उनकी जान पहचान देहरादून (उत्तराखंड) निवासी जितेंद्र कुमार विश्वकर्मा से थी। जितेंद्र ने संदीप विश्वकर्मा को रेलवे का बड़ा अधिकारी बताते हुए उनसे मिलवाया था। संदीप ने झांसा दिया था कि दोनों को उत्तर रेलवे में नौकरी दिला दी जाएगी। इसकी एवज में उन्हें 22 लाख रुपये देने होंगे।

लखनऊ कराई गई ट्रेनिंग

पीडि़तों ने बताया कि उन्हें संदीप विश्वकर्मा के लखनऊ स्थित गोमतीनगर की पाश कालोनी में ले जाया गया। संदीप के घर के बाहर रेलवे के मुख्य अभियंता अधिकारी का बोर्ड लगा था। कारों पर भारत सरकार लिखा था। उन्होंने संदीप को पूरी रकम दे दी। पीडि़तों को बताया गया था कि ओपन भर्ती चल रही है। इसके बाद दोनों भाइयों को नियुक्ति पत्र दे दिया। बाद में पता चला कि वह भर्ती नहीं हुए है। पीडि़तों ने बताया कि उनकी लखनऊ में एक स्थान पर ट्रेनिंग कराई गई और रेलवे की ड्रेस भी दी गई थी। पीडि़तों ने अदालत के माध्यम से मुकदमा दर्ज कराया है।

ये हैं आरोपित

दोनों भाइयों के अधिवक्ता दीपक त्यागी ने बताया कि जितेंद्र कुमार विश्वकर्मा, उसके बहनोई संदीप कुमार विश्वकर्मा, बहन अन्नू, पिता मोहन लाल विश्वकर्मा, भाई राजा विश्वकर्मा, नवीन विश्वकर्मा, वीरू विश्वकर्मा, सुरेंद्र कुमार, आरके विश्वकर्मा के अलावा पद के नाम से मंडल रेलवे प्रबंधक उत्तर रेलवे लखनऊ, वरिष्ठ मंडल अभियंता (यार्ड) सवारी डिब्बा कारखाना उत्तर रेलवे आलमबाग लखनऊ को भी आरोपित बनाया गया है।