भारतीय रेलवे ने अपने काम-काज को धीरे-धीरे पूरी तरह से पेपपलेस कर दिया है. रेलवे अपना पत्र व्यवहार भी ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म पर ई- फाइलिंग के जरिए ही करेगा. रेलवे बोर्ड के एडवाइजर एडमिनिस्ट्रेशन अधिकारी ने सभी रेलवे जोन के महाप्रबंधक को इसका पालन सुनिश्चित करने को कहा है. आदेश के अनुसार 1 नवंबर के बाद रेलवे की सेंट्रल रजिस्ट्री में भौतिक पत्र और फाइलें मंजूर नहीं की जाएंगी. फिलहाल डीएंड आर और विजिलेंस डिपार्टमेंट को इससे छूूट दी गई है.

भारतीय रेलवे ने पेपरलेस के लिए मार्च 2019 में रेलटेल के साथ एक करार किया था, जिसके बाद से लगातार इस दिशा में कार्य जारी था. रेलवे ने चरणबद्ध तरीके से मंडल से लेकर स्टेशन और यार्ड के कार्यालयों में डिजीटलाइजेशन से काम शुरू किया, पिछले साल से 70-80 फीसदी काम ई-प्लेटफार्म के जरिए हो रहा है.

दपरे को मिला है देश का पहला पेपरलेस का तमका
दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) देश का पहला पेपरलेस रेलवे जोन बना है. दपरे ने मुख्यालय सहित अपने बेंगलूरु, हुब्बली एवं मैसूरु रेल मंडलों समेत 247& उपयोगकर्ताओं पर इसे लागू किया है, जिसमें मुख्य रूप से फाइलों का काम, डेटा एंट्री, प्रोग्रामिंग, मैप और वर्कफ्लो संबंधी कार्यालयी कार्यों का निष्पादन होता है.

रेलवे के हॉस्पिटल, टिकट, ट्रांसपोर्ट में पहले से ई-ऑफिस
रेल प्रशासन चाहता है कि 1 नवंबर से तमाम ऑफलाइन काम पूरी तरह से ई-ऑफिस कल्चर में तब्दील होकर ऑनलाइन हो जाए. रेलवे कर्मचारी को इलाज के लिए पंजीयन कराना, जनरल टिकट डिजिटलाइजेशन (ऐप के जरिये) ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीन पहले ही उपलब्ध करा चुकी है.