आर्थिक प्रगति को गति देगा भारतीय रेलवे

सुविधा- सुरक्षा और आधारभूत संरचना के विकास पर रेलवे का जोर • बजट में तीन लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है पूंजीगत व्यय नौ वर्ष में 45 हजार करोड़ से बढ़कर 2.45 लाख करोड़ पर पहुंचा व्यय

कोरानाकाल की दुश्वारियों को छे छोड़ते हुए रेलवे फिर से टरी पर आने लगा है। यह देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देने आला सबसे बड़ा तंत्र है, इसीलिए केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में लवे का स्थान अग्रणी है। अभी आइएनएस विक्रांत को बनाने में 500 एमएसएमई ने मदद की लेट ट्रेन और वंदे भारत जैसे कई ोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। आर्थिक तिविधियों को बढ़ाने के लिए फ्रेट करिडोर के काम को तेज करना है। त्री के साथ-साथ माल ढुलाई को भी नया आयाम देना है। बजट से पहले मंगलवार को सदन में पेश की गई आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट का संकेत है कि प्रगति को गति और शक्ति देने के लिए इस क्रम को 2023 तक इसी संकल्प से आगे ढ़ाया जाता रहेगा।

आर्थिक सर्वे में रेलवे के विकास को सतत प्रक्रिया बताते हुए पिछले वर्षों की रफ्तार का खासतौर पर ल्लेख किया गया है। कहा गया है * 2014 से इस पर फोकस बढ़ाया

2014 के पहले तक रेलवे संसाधनों की कमी, पुरानी नीतियों,

नई दिल्ली, प्रेट्र : भारत के प्रमुथ एयरक्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत को बनाने में करीब 500 एमएसएमई ने मदद की है। इसके अलावा 12 हजार से अधिक सहयोगी उद्योग और दो हजार से ज्यादा शिपयार्ड कर्मचारियों की मदद से आइएनएस विक्रांत तैयार हो पाया है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार,

गया है। नौ वर्ष पहले तक रेलवे का पूंजीगत व्यय ( कैपेक्स) सिर्फ 45 हजार 980 करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर दो लाख 45 हजार आठ सौ करोड़ कर दिया गया।

भारतीय नौसेना की स्वदेशीकरण

की पहलों ने एमएसएमई और अन्य उद्योगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। साथ ही इन पहलों से आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। भारत के समुद्री इतिहास करोड़ के पार पहुंच गई है। में आइएनएस विक्रांत अब तक का सर्वे में उम्मीद जताई गई है कि सबसे बड़ा जहाज है और इसे हाल ही में कमीशन किया गया है।

कई मोर्चे पर अक्षमता जैसी समस्याओं से जूझ रहा था। इससे रेलवे की आय पर भी असर पड़ रहा था। किंतु सरकार का ध्यान जब इस ओर गया तो पिछले वर्ष की तुलना में पूंजीगत व्यय में 29 प्रतिशत वृद्धि कर दी। ऐसे में अब

सभी चालू और आने वाले प्रोजेक्टों को देखते हुए अगले बजट में इस राशि को तीन लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

माल ढुलाई में 45 प्रतिशत वृद्धि की तैयारी: आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि तमाम मुश्किलों से आगे बढ़ते हुए रेलवे अगले वित्त वर्ष में सारी मुश्किलों से उबर जाएगा। 2019-20 में यात्रियों की संख्या 809 करोड़ थी, जो कोरोना के दौरान 125 करोड़ तक पहुंच गया था। फिर से यह संख्या पांच सौ

अगले वित्त वर्ष में रेलवे पुराने दौर में पहुंच जाएगा। हालांकि माल ढुलाई के मामले में रेलवे ने कोरोना के झटके को दरकिनार कर दिया है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक आठ प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि बरकरार रखी है। अगले सात वर्षों के दौरान माल ढुलाई की मात्रा में 45 प्रतिशत तक की वृद्धि की