केंद्र सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम के स्लैब में भी बदलाव किया है। स्लैब की संख्या 7 से घटाकर 6 की गई है। अब जीरो से तीन लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश कर दिया है। इस बजट में इनकम टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत दी गई है। हालांकि, ये राहत न्यू टैक्स रिजीम के तहत आने वाले टैक्सपेयर्स के लिए है। अब सवाल है कि जो टैक्सपेयर्स अब तक ओल्ड स्लैब के तहत रिटर्न फाइल करते रहे हैं, उन्हें क्या करना है। आइए इसके बारे में समझ लेते हैं। 

नहीं करना होगा कुछ: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में बताया है कि नए टैक्स रिजीम को ‘डिफॉल्ट’ शिफ्ट करने का प्रस्ताव है। मतलब ये हुआ कि इसके लिए आपको कुछ नहीं करना होगा। आप खुद-ब-खुद न्यू टैक्स रिजीम के दायरे में आ जाएंगे। हालांकि, नागरिकों के पास पुरानी टैक्स व्यवस्था का लाभ उठाने का विकल्प बना रहेगा।

आपको बता दें कि अब भी ओल्ड और न्यू टैक्स में से किसी एक का चयन करना होता था। दोनों ही टैक्स स्ट्रक्चर में सेक्शन 87 ए के तहत 5 लाख रुपये तक की इनकम पर रीबेट मिलता रहा है। 

स्लैब में बदलाव: केंद्र सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम के स्लैब में भी बदलाव किया है। स्लैब की संख्या 7 से घटाकर 6 की गई है। अब जीरो से तीन लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा। वहीं, तीन से छह लाख रुपये पर 5 प्रतिशत और छह से नौ लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, नौ लाख रुपये से 12 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत और 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा। 

New Tax Regime Income Tax Slab

0-3 लाख तक: कोई टैक्स नहीं
3 लाख से- 6 लाख तक: 5%
 6 लाख से  9 लाख तक: 10%
9 लाख से 12 लाख तक: 15%
12 लाख से 15लाख तक: 20%
15 लाख से ऊपर: 30%

सैलरीड क्लास और पेंशनभोगियों के लिए न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन के लाभ दिया गया है, जो पहले नहीं था। 15.5 लाख रुपये या उससे अधिक आय वाले प्रत्येक वेतनभोगी व्यक्ति को 52,500 रुपये तक का लाभ मिलेगा। वर्तमान में ओल्ड रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये है और प्रोफेशनल टैक्स के लिए अधिकतम डिडक्शन 2,500 रुपये है।

सरकार ने ओल्ड टैक्स रिजीम को फेज वाइज हटाने के लिए न्यू टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने की घोषणा की है। न्यू टैक्स रिजीम ही अब डिफॉल्ट टैक्स रिजीम होगा और किसी को ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत रिटर्न फाइल करना है तो उसे बदलना होगा। इसके अलावा गैर-सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट पर टैक्स फ्री लीव इनकैशमेंट की सीमा भी बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है। पांच करोड़ रुपये से अधिक की सालाना इनकम पर सरचार्ज की रेट 37% से घटाकर 25% कर दी गई है।

पुराने और नए टैक्स रिजीम में क्या अंतर है?

वर्ष 2020 से  देश में इनकम टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं। पहली वाली को ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के नाम से जाना जाता है। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नई व्यवस्था (New Tax Regime) शुरू की गई थी हालांकि अभी पुरानी टैक्स प्रणाली को भी बरकरार रखा गया है। 

ओल्ड टैक्स रिजीम में सेक्शन 80 C और 80 D जैसे टैक्स सेविंग उपकरणों के जरिए टैक्सपेयर्स टैक्स बचा सकते हैं, लेकिन नई व्यवस्था में इस तरह की कोई इग्जेम्प्शन नहीं है। इस वजह से नई टैक्स प्रणाली को बहुत ही कम लोगों ने अपनाया और इसी वजह से सरकार ने इस बार सारी घोषणाएं इसी के तहत की है। सैलरी पाने वाले लोगों को न्यू टैक्स  रिजीम से कोई फायदा नहीं है क्योंकि उन्हें HRA, LTA , स्टैंडर्ड डिडक्शन, सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत मिलने वाली डिडक्शन नहीं मिलती है।