बजट 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वेतनभोगियों के लिए बल्ले-बल्ले कर दी है। वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब को कम करके आयकर छूट में बढ़ोतरी कर दी है। 2014 के बाद पहली बार इनकम टैक्स में छूट दी गई है।

अब ₹7 लाख तक है सालभर की कमाई तो नहीं देना होगा इनकम टैक्स, नई व्यवस्था में बढ़ा छूट का दायरा, लंबे समय बाद इस बार मिडल क्लास को बजट से राहत मिली है। अब नई टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये की सालाना आय को टैक्स फ्री कर दिया है। यानी जिसका एनुअल इनकम 7 लाख रुपये तक है, उन्हें इनकम टैक्स नहीं देना होगा। पहले यह सीमा 5 लाख रुपये की थी। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में गरीबों के लिए घर बजाने की योजना को भी पंख दिए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस बार बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के बजट को 66% बढ़ा दिया गया है। सीतारमण ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट (Last Full Budget Of Modi 2.0) पेश किया। उन्होंने बताया कि इस बार के बजट के सात आधार हैं जिन्हें सप्तर्षि (Saptarshi Of Budget 2023) के तौर पर पेश किया गया है। अगले वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 का यह आखिरी पूर्ण बजट है, इसलिए इस बार के बजट (Budget 2023 Expectations) में गरीब तबकों, आदिवासी समुदाय, मछलीपालकों, किसानों पर फोकस रखा गया है।

नए टैक्स सिस्टम को इतना आकर्षक बनाया गया है कि लोग बेझिझक अब इसे चुन सकेंगे। हम इसके लिए किसी को मजबूर नहीं कर रहे हैं। अगर कोई पुराने सिस्टम में रहना चाहता है, तो यह उसकी मर्जी हैं। लेकिन नया टैक्स सिस्टम अब बहुत आकर्षक है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट (Budget 2023) में वेतनभोगियों के लिए टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ-साथ बड़ी टैक्स छूट की घोषणा कर दी है। अब 7 लाख तक कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा पुराने 7 टैक्स स्लैब को घटाकर अब 5 कर दिया गया है। हालांकि, नई टैक्स व्यवस्था में एक झोल भी है। 7 लाख तक की आमदनी तक तो टैक्स नहीं देना है लेकिन उसके बाद की राशि को लेकर गफलत है। दरअसल, वित्त मंत्री ने अपने भाषण में साफ-साफ कहा कि नई टैक्स व्यवस्था में 7 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन उन्होंने पुरानी टैक्स व्यवस्था को भी लागू रखा है और यहां टैक्स छूट को 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया है।

7 लाख टैक्स फ्री तो नए टैक्स सिस्टम में फायदा या पुराने में, पूरा गणित समझ लीजिए

जब से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट की घोषणा में 7 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री करने की घोषणा की है, लोग अपना कैलकुलेशन करने में जुट गए हैं। कई तरह के भ्रम और असमंजस की स्थिति भी पैदा हो रही है। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर पुरानी कर व्यवस्था ली जाएगा या नई कर व्यवस्था बेहतर है। इसे सरल भाषा में समझने की जरूरत है। भले ही 7 लाख रुपये सालाना तक जीरो टैक्स का ऐलान हुआ है लेकिन अगर आप 7 लाख से ऊपर के ब्रैकेट में आते हैं तो कैलकुशेन क्या होगा इसे समझना होगा।

नई कर व्यवस्था

  • नई कर व्यवस्था में इनकम टैक्स स्लैब के तहत 3 लाख रुपये तक आय पर कोई टैक्स नहीं।
  • 3 से 6 लाख रुपये पर 5 प्रतिशत, 6 से 9 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 9 से 12 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत और 12-15 लाख रुपये तक 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30% कर लगेगा।

लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर आमदनी सात लाख रुपये है तो क्या फायदा और क्या नुकसान होगा। टैक्स एक्सपर्ट विनोद जैन का कहना है कि नई कर प्रणाली में सभी टैक्सपेयर्स को फायदा ही होने वाला है। आपने 80सी में जो पैसा जमा कराया या मेडिकल स्कीम ली, उसकी डिडक्शन ओल्ड रेजीम में मिलती है। लेकिन वहां टैक्स के रेट बहुत ज्यादा है। जैसे ही 5 लाख क्रॉस करते हैं आपका 20 पर्सेंट का टैक्स है। जैसे ही आप 10 लाख पार करते हैं, 30 पर्सेंट का टैक्स रेट है। जबकि नई प्रणाली में 15 लाख से ऊपर जाने पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा। हायर स्लैब में पहले भी फायदा नहीं था। पुरानी स्कीम में 15 लाख से नीचे वालों को ही फायदा था।

पुरानी कर व्यवस्था

  • ढाई लाख रुपये की इनकम पर शून्य आयकर लगेगा।
  • ढाई लाख से पांच लाख रुपये की आय पर 5%, 5 से 10 लाख रुपये की आय पर 20% और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर कर 30% कर लगेगा।

एक्सपर्ट कहते हैं कि मान लीजिए आपकी 50 लाख इनकम है तो 15 लाख तक डेढ़ लाख रुपये लगे, बाकी 35 लाख पर 30 प्रतिशत लगेगा। इस तरह से देखें तो आपका 12 लाख रुपये टैक्स होता है।