New Pension Scheme Vs Old Pension Scheme: राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद अब पंजाब सरकार ने भी कहा कि वह फिर पुरानी पेंशन योजना को अपने कर्मचारियों के लिए बहाल करने के बारे में सोच रही है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि OPS से सरकारी पर देनदारियां बढ़ेंगी और करदाताओं पर भी बोझ बढ़ेगा. कई देशों ने डिफाइंड बेनेफिट सिस्टम (ओल्ड पेंशन स्कीम) को खत्म कर दिया है.

हाइलाइट्स

नई पेंशन योजना 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए कर्मचारियों पर लागू है.
ओल्ड पेंशन स्कीम से सरकार पर देनदारियों का बोझ बढ़ा इसलिए नई व्यवस्था लाई गई.
NPS में OPS की तरह मिलने वाली पेंशन की रकम फिक्स नहीं है.

नई दिल्ली. देश में ज्यादातर सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम के पक्ष में हैं. हाल ही में पंजाब सरकार ने कहा था कि वह फिर पुरानी पेंशन योजना को अपने कर्मचारियों के लिए बहाल करने के बारे में सोच रही है. अगर ऐसा होता है तो पंजाब राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद तीसरा राज्य बन जाएगा जो OPS को फिर से लागू करेगा. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक लोकलुभावन राजनीतिक फैसला है, जिससे सरकारी खजाने से देनदारियां बढ़ेंगी और करदाताओं पर भी बोझ बढ़ेगा.

एक्सिस पेंशन फंड के एमडी और सीईओ सुमित शुक्ला ने कहा कि, ‘कई देशों ने डिफाइंड बेनेफिट सिस्टम (ओल्ड पेंशन स्कीम) को खत्म कर दिया है. क्योंकि बढ़ती पेंशन देनदारियों के कारण दुनिया भर की सरकारों को भारी नुकसान हुआ है. न्यू पेंशन स्कीम उन कर्मचारियों पर लागू होगी जो 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए हैं और इसके फायदे का अहसास उन्हें रिटायरमेंट पर पता चलेगा.’

नई पेंशन योजना क्या है?
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए नई या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की शुरुआत की. जो 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए. इसके बाद तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को छोड़कर अधिकांश राज्यों की सरकारों ने यह नई व्यवस्था लागू की. लैडर 7 फाइनेंशियल एडवाइजरी के संस्थापक सुरेश सदगोपन ने बताया कि, ‘सरकारों की बढ़ती पेंशन देनदारियों के कारण इस व्यवस्था में
बदलाव की आवश्यकता थी. OPS सरकारी खजाने के लिए संभव नहीं था और इसे फिर से लागू करना घातक होगा.

न्यू पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति कोष बनाने के लिए अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं, जबकि उनके नियोक्ता 14 प्रतिशत तक योगदान देते हैं. एनपीएस स्वैच्छिक आधार पर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी खुला है, हालांकि कुछ नियमों में बदलाव किया गया है. एनपीएस के तहत कटने वाली राशि इक्विटी मार्केट और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की जाती है.

रिटायरमेंट पर कर्मचारी कुल राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा एकमुश्त तक निकाल सकते हैं, जो कि टैक्स फ्री होगा. जबकि शेष 40 प्रतिशत राशि को अनिवार्य रूप से वार्षिकी में परिवर्तित किया जाएगा, जो जीवन भर के लिए पेंशन आय उत्पन्न करेगा. OPS के विपरीत जो एक निश्चित भुगतान की गारंटी देता है, NPS में मिलने वाली राशि बाजार के साथ बढ़ती है. लंबी अवधि में इक्विटी बाजार में तेजी, एनपीएस के पक्ष में है, लेकिन अल्पकालिक अस्थिरता की संभावना भी है.

ओल्ड पेंशन स्कीम
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत वे केंद्रीय कर्मचारी आते हैं जिन्होंने 1 जनवरी 2004 से पहले नौकरी ज्वाइन की है. इस योजना में पेंशन राशि का फॉर्मूला सीधा है. जिसमें आखिरी वेतन की 50 फीसदी राशि और महंगाई भत्ता शामिल है, जो कि सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के तौर मिलती है. इसकी पात्रता के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 साल नौकरी करनी चाहिए. सबसे बड़ी बात है कि ओल्ड पेंशन स्कीम में पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद पति या पत्नी को पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाता है.

क्या NPS में OPS की तरह तय पेंशन मिलती है?
नहीं, न्यू पेंशन स्कीम परिभाषित योगदान पर आधारित है ना कि लाभ पर. अगर कर्मचारी अधिक पेंशन आय चाहते हैं, तो वे स्वेच्छा से अपने काम के वर्षों के दौरान फंड में बड़ा योगदान दे सकते हैं. ताकि रिटायरमेंट पर बड़ी रकम मिल सके.

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बहरहाल विशेषज्ञ कहते हैं कि न्यू पेंशन स्कीम, ओल्ड पेंशन स्कीम की तुलना में ज्यादा बेहतर है. क्योंकि रिटर्न के मामले में कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर अच्छी रकम मिलेगी और उच्च पेंशन हासिल होगी. एनपीएस में निवेश को लेकर कर्मचारी के पास इक्विटी और डेट फंड का विकल्प होता है जिससे बेहतर रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है.