रेलवे (Indian Railways) के करीब 13 लाख कर्मचारियों को अब ट्रांसफर में पारदर्शिता (Transparency in Transfer) की आजादी मिल गई है। रेल मंत्रालय ने स्टाफ के ट्रांसफर के लिए आज से एक माड्यूल लागू किया है। इससे रेलवे के स्टॉफ को इंटर डिवीजनल या इंटर जोनल ट्रांसफर (Railway Transfer) कराने में आसानी हो जाएगी।

हाइलाइट्स

  • रेलवे में स्टाफ की ट्रांसफर प्रक्रिया बेहद पारदर्शी हो जाएगी
  • रेलवे ने स्टाफ के ट्रांसफर के लिए एक माड्यूल तैयार किया है
  • इस माड्यूल को आज से पूरे देश में लागू कर दिया गया है

भारतीय रेलवे (Indian Railways) से तो आप परिचित होंगे ही। इसमें करीब 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इस महकमे में बुकिंग क्लर्क, रिजर्वेशन क्लर्क, टीटी, गार्ड, लोको पायलट, टेक्निशियन, खलासी, गैंगमैन, ट्रैकमैन, गेटमैन आदि की नौकरी का युवाओं के बीच बहुत ही ज्यादा आकर्षण है। इस नौकरी को पाने के लिए बिहार-यूपी जैसे राज्य के विद्यार्थी बरसों बरस मेहनत करते हैं। लेकिन इसे पाने के बाद भी अक्सर लोग परेशान रहते हैं। इसकी वजह है घर से काफी दूर तैनाती। इसलिए वे अपने घर के पास आने के लिए ट्रांसफर करवाने के जुगत में लग जाते हैं। लेकिन ऐसा आसानी से नहीं हो पाता है। लेकिन अब ऐसा आसानी से हो पाएगा। दरअसल, रेलवे बोर्ड (Railway Board) ने एक ऐसी पॉलिसी बनाई है, जिससे रेलवे के करीब 13 लाख कर्मचारियों को ट्रांसफर कराने में आजादी मिल जाएगी। इसे आज से मतलब 15 अगस्त 2022 से देश भर में लागू कर दिया गया है।

ट्रांसफर मॉड्यूल को किया गया लागू
रेलवे में ट्रांसफर कई तरह के होते हैं। कारखाने में स्टाफ लेवल का नियमित ट्रांसफर आमतौर पर वर्कशॉप के अंदर ही होता है। यदि कोई स्टाफ डिवीजन में तैनात है तो उसका डिवीजन में ही ट्रांसफर होता है। इस ट्रांसफर में ज्यादा दिक्कत नहीं होती। एक-दो बार डिवीजन ऑफिस का चक्कर चलाइए काम हो जाता है। यदि कोई स्टाफ इंटर डिवीजन या इंटर जोनल ट्रांसफर चाहता है तो बड़ी पापड़ बेलनी होती है। यदि उन्हें म्यूचुअल ट्रांसफर कराने वाला कोई स्टाफ मिल गया तो आसानी से ट्रांसफर हो जाता है। लेकिन यदि ऐसा कोई नहीं मिला तो फिर बेहद दिक्कत होती है। रेलवे स्टाफ की इसी दिक्कत को दूर करने के लिए रेल मंत्रालय ने आज से एक ट्रांसफर माड्यूल को लागू किया है।

क्या है ट्रांसफर माड्यूल
रेलवे के सॉफ्टवेयर बनाने वाला संगठन सेंटर फोर रेलवे इंफोर्मेशन सिस्टम (CRIS) ने एक कर्मचारियों के प्रबंधन के लिए एक माड्यूल बनाया है। इसका नाम एचआरएमएस दिया गया है। रेलवे बोर्ड ने फैसला किया है कि इंटर जोनल और इंटर डिवीजनल ट्रांसफर के सभी आवेदन अब इसी पर फाइल होंगे। यही नहीं, पहले से भी जिन स्टाफ का इंटर जोनल या इंटर डिवीजन ट्रांसफर का आवेदन लंबित होगा, उसे भी इसी पर अपलोड कर दिया जाएगा। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि इस माड्यूल को लागू करने से ट्रांसफर में पारदर्शिता आ जाएगी।