रेलवे में नौकरी घोटाले के मामले में सीबीआई सबूत की तलाश कर रही है। दिल्ली से भोपाल और पटना से गोपालगंज तक लालू यादव के 17 ठिकानों पर छापेमारी की। जमीन लेकर नौकरी देने के मामले में पड़ताल की जा रही है। लालू यादव पर आरोप है कि जब वो 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे तो नौकरी घोटाला किए थे। सीबीआई की टीम ने लालू यादव के पटना स्थित चार ठिकानों पर भी छापेमारी की। ग्रुप D के कर्मचारी क्या काम करते हैं?
रेलवे में ग्रुप D कम सैलरी वाला एक बेसिक जॉब है। फोर्थ ग्रेड के स्टाफ माने जाते हैं। ग्रुप डी के कर्मचारी पटरियों के देखभाल या सहायक के रूप में काम करते हैं। इनके कामों में पटरियों, रेलवे कोच, डिपार्टमेंट, स्टोर समेत कई चीजों का रख-रखाव शामिल होता है। मिलनेवाला काम कर्मचारी के पोस्ट पर निर्भर करता है। अगर किसी को डीजल लोकोमोटिव में तैनात किया जाता है, तो उसका काम लोकोमोटिव्स का रख-रखाव करना होगा। बाद में इनका प्रमोशन भी होता है।

करीब 25 हजार रुपए मिलती है सैलरी
किसी भी तरह सरकारी नौकरी मिल जाए, लड़के/लड़की और माता-पिता की ख्वाहिश होती है। अपने सपने को पूरा करने के लिए कुछ दांव लगाने को तैयार रहते हैं। योग्यता से ज्यादा जुगाड़ पर भरोसा करते हैं। फिर नौकरी घोटाला हो जाता है। रेलवे के ग्रुप D कर्मचारियों के वेतन की बात करें तो इनका बेसिक पे 18 हजार रुपए प्रति माह है। कर्मचारियों को वेतन के अलावा महंगाई भत्ते, हाउस रेंट अलाउंस और ऐसे अन्य लाभ प्राप्त होते है। यानी कुल मिलाकर लगभग 22,500-25,380 रुपए प्रतिमाह वेतन के तौर पर मिलता है।

नौकरी घोटाले को कैसे दिया गया अंजाम?
हाल ही में रेलवे में ग्रुप D बहाली में धांधली का आरोप लगाकर अभ्यर्थियों ने जबर्दस्त बवाल किया था। जिसके बाद रेलवे को कई सुधार करने पड़े थे। लालू यादव पर इसी ग्रुप डी की बहाली में गड़बड़ी करने का आरोप है। ऐसा कहा जा रहा है कि पहले जब वो (लालू यादव) रेल मंत्री थे तो पहले अस्थायी तौर पर नियुक्ति कराते थे और फिर जैसे ही जमीन की डील पूरी जाती, नौकरी को स्थायी कर दी जाती थी। इस तरह से सैकड़ों लोगों और अपने सगे-संबंधियों को नौकरी देने का आरोप लालू यादव पर है।