गोरखपुर शहर के जटेपुर कालोनी में रहने वाले रेलकर्मी एसएन सिंह ने दो माह पहले मकान नंबर एल/22 एफ की मरम्मत के लिए आवेदन किया है। उन्होंने रेलवे प्रशासन से बताया है कि छत का प्लास्टर गिर रहा है। खिड़कियों के पल्ले गायब हैं। कमरों के फर्श टूट चुके हैं। लेकिन अभी तक मरम्मत नहीं हुई। रेलकर्मी और उनके स्वजन हरपल दहशत में रहते हैं। कहीं सोते समय छत का प्लास्टर न गिर जाए। सिर्फ एसएन सिंह ही नहीं उनके जैसे सैकड़ों रेलकर्मी जटेपुर कालोनी के जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं। लगातार शिकायतों के बाद भी रेलवे प्रशासन संज्ञान नहीं ले रहा। इसको लेकर कर्मचारियों और उनके स्वजन में रोष है।

छत गिरने से लोगों में समाया डर: रेलकर्मी सत्येंद्र पांडेय और वीर बहादुर यादव ने तो रेलवे प्रशासन को आवेदन सौंपकर छह माह पहले दीवार गिरने की आशंका जताई थी। आखिरकार मंगलवार की रात आवास संख्या एल/23 ए और बी की दीवार गिर ही गई। कोई दुर्घटना तो नहीं हुई लेकिन उसके बाद से कालोनी में रहने वाले लोगों में डर समा गया है। एनई रेलवे मेंस कांग्रेस के संरक्षक शंभूनाथ सिंह बिशेन कहते हैं कि एल ब्लाक के सभी आवास पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। कालोनी में 950 क्वार्टरों में आधे से अधिक बदहाल हैं। लगभग सभी आवासों के छत टपक रहे हैं। वे कभी भी गिर सकते हैं। पिछले साल ही एक छत गिर गया। रेलवे प्रशासन छतों पर प्लास्टिक चिपकाकर बारिश के पानी को रोक रहा है।

गायब हैं खिड़कियों और फाटकों के पल्ले: बिजली की वायरिंग और फर्श उखड़ चुके हैं। खिड़कियों और फाटकों के पल्ले गायब हैं। जर्जर आवासों के चारों तरफ गंदगी पसरी रहती है। संबंधित इंजीनियर शिकायत नोट कर लेते हैं लेकिन मरम्मत तो दूर आवासों को देखने तक नहीं आते हैं। इंजीनियरिंग विभाग के उच्च अधिकारी भी उदासीन बने हुए हैं। ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

अधिकारी बोले: पूर्वोत्तर रेलवे मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि गिरी हुई दीवार फिर से तैयार करा दी गई है। समस्याओं का सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के आधार पर आवासों की मरम्मत कराई जाएगी। रेलकर्मियों व उनके स्वजन का पूरा ख्याल रखा जाता है।