रेलवे ट्रेन चालक को इंटरनेट मैन बनाने जा रहा है। चालक ट्रेन संचालन से संबंधित रिकार्ड रजिस्टर पर देने बजाय रेलवे द्वारा तैयार किए गए एप पर रेल प्रशासन देगा। इसके साथ ही रेलवे लोहे के भारी भरकम बक्साें के स्थान पर ट्राली बैग उपलब्ध कराने जा रहा है। चालक व गार्ड ड्यूटी के दौरान लोहे के बक्से लेकर चलते हैं। इन भारी भरकम बक्सों को इंजन चढ़ाने व उतारने के लिए पोर्टर की तैनाती की जाती है। इनके वेतन, भत्तों पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं।

बाक्स पोर्टर को हटाकर चालक व गार्ड को ट्राली बैग देने की योजना पांच साल पहले शुरू की गई थी। कर्मचारियों के विरोध के बाद योजना पर रोक लगा दी। कर्मचारियों को कहना था कि लोहे के बक्से में इंजन की मरम्मत के लिए उपकरण, रजिस्टर सहित अन्य सामान रखे जाते हैं। इसके कारण बाक्स का वजन 25 किलो से अधिक होता है। ऐसे में ट्राली बैग को उठाना चालक के लिए संभव नहीं होगा।

रेलवे बोर्ड के अधिशासी निदेशक (ईएंडआर) एसके सिंह ने 21 फरवरी को ट्राली बैग को लेकर संशोधित आदेश किया है। इसमें कहा गया है कि चालक के बैग में इंजन को ठीक करने वाला उपकरण नहीं रखे जाएंगे। यह उपकरण इंजन में स्थायी रूप से रखे जाएंगे। चालक को ट्रेन संचालन संबंधित सूचना देने के लिए रजिस्टर की जरूरत नहीं होगी। बल्कि चालक के मोबाइल पर रेलवे का एप डाउनलोड किया जाएगा। एप के माध्यम से ट्रेन संचालन संबंधित सूचना सीधे रेलवे अधिकारी को उपलब्ध करानी होंगी।

बैग में हरी व लाल झंडी और रात में सिग्नल दिखाने लिए इलेक्ट्रिक लैंप होगी। इसके बाद बैग का वजन पांच किलो रह जाएगा। चालक को प्रत्येक तीन साल पर ट्राली बैग खरीदने के लिए पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। नरमू के मंडल मंत्री राजेश चौबे ने बताया कि पहली बार जब ट्राली बैग देने का आदेश दिया गया था तो संगठन ने रेलवे बोर्ड स्तर पर विरोध किया था। संगठन की मांग के बाद रेलवे बोर्ड ने संशोधित आदेश जारी किया है।