रेलवे के विभिन्न विभागों में अभी 2 लाख 65 हजार 547 पद खाली हैं। यह रेलवे में स्वीकृत पदों का करीब 18 फीसदी है। खाली पदों में 2177 गजटेड हैं, जबकि 2 लाख 63 हजार 370 नॉन गजटेड हैं। ऐसा नहीं है कि इतनी बड़ी संख्या में पद एक-दो वर्षों में खाली हुए हैं। बीते कई वर्षों से यह स्थिति बनी हुई है। इसकी बड़ी वजह रिटायर्ड होने वाले कर्मियों की तुलना में नई भर्ती की संख्या लगभग आधी होना है।

वर्ष 2008 से 2018 तक हर साल रिटायर होने वाले कर्मचारियों की तुलना में कम भर्तियां ही हुईं। हालांकि, वर्ष 2019-20 में 1,28,456 नई भर्तियां हुईं, जो इस साल रिटायर होने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 47000 से तिगुनी है। बीते तीन वर्षों में रेलवे में 1,50,483 पदों पर नई भर्ती हुई है। इससे पहले वर्ष 2014-19 की अवधि में 1,84,262 पदों पर भर्ती हुई। रेलवे में कुल 15,24,127 पद स्वीकृत हैं।

2008 से 2018 तक हर साल रिटायर होने वाले कर्मियों की तुलना में कम भर्तियां हुईं

साल दर साल बढ़ता गया बैकलॉग
रेलवे में 1990-91 में कर्मियों की संख्या 16.51 लाख थी, जो 2000-01 में 15.45 लाख पर पहुंच गई। यानी इस दौरान 1.06 लाख पद खाली हो गए। वहीं, 2008-09 में रेलकर्मियों की कुल संख्या 13,86,011 थी। जो 2016-17 में 13,08,323 और 2021-22 में 12,58,580 पर पहुंच गई। खाली पदों में 85 फीसदी सेफ्टी कैटेगरी के हैं। इसमें गैंगमैन, कीमैन, हेल्पर, प्वांइटमैन, सहायक स्टेशन मास्टर आदि शामिल हैं।

खाली पद नहीं भरे गए तो भविष्य में संकट
खाली पद नहीं भरे गए तो भविष्य में संकट खड़ा हो जाएगा। दिसंबर तक करीब 50 हजार कर्मी और रिटायर हो जाएंगे। – शिव गोपाल मिश्र, महासचिव, एआईआरएमएफ

​​​​​​​रेल कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ गया है
खाली पदों को नहीं भरने से रेलकर्मियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। जिसका असर उनके काम पर पड़ता है। – ओपी शर्मा, जोनल सेक्रेटरी, ईसीआर ऑल इंडिया मेंस फेडरेशन