केंद्र सरकार के कर्मचारियों (Central Government Employees) के लिए अच्छी खबर है. होली (Holi) से पहले एक बार केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार होली से पहले केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (Dearness Allowance- DA) में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती है. केंद्र सरकार के कर्मचारी भी महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) बकाया और हाउसिंग रेंटल अलाउंस (HRA) के लिए में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं. आपको बता दें कि आपको बता दें कि डीए, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दिया जाने वाला कॉस्ट ऑफ लिविंग अलाउंस जनवरी और जुलाई में साल में दो बार बढ़ाया जाता है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई भत्ते में 3 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है. अभी केंद्रीय कर्मचारियों को 31 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. होली से पहले महंगाई भत्ते में 3 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद कुल महंगाई भत्ता बढ़कर 34 फीसदी हो जाएगा. डीए में बढ़ोतरी पर सरकार की घोषणा सातवें वेतन आयोग की सिफारिश पर आधारित होगी. केंद्र सरकार अगर कर्मचारियों के डीए में 3 फीसदी की बढ़ोतरी करता है तो उनके वेतन में काफी इजाफा होगा.

पिछले साल दो बार बढ़ा डीए

पिछले साल जुलाई और अक्टूबर में केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में दो बार इजाफा किया था. 47.14 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों और 68.62 लाख पेंशनभोगियों को 31 फीसदी डीए का भुगतान किया गया. जुलाई 2021 में, सरकार ने भी महंगाई राहत (DR) को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया था. इस बढ़ोतरी ने जनवरी और जुलाई 2020 और जनवरी 2021 में बिना किसी बकाया के फ्रीज की भरपाई की.

इस आधार पर तय होता है डीए

महंगाई भत्ता कर्मचारियों के वेतन के आधार पर दिया जाता है. शहरी, अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों में नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता अलग-अलग होता है. डियरनेस अलाउंस (DA) की गणना मूल सैलरी पर होती है. महंगाई भत्ते की गणना के लिए एक फॉर्मूला तय किया गया है, जोकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से तय होता है.

कब शुरू हुई थी डीए की शुरुआत

डियरनेस अलाउंस कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. महंगाई भत्ता इसलिए दिया जाता है कि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारियों को अपना जीवन-यापन करने में कोई परेशानी न हो. हर साल जनवरी और जुलाई में डीए में बदलाव किया जाता है. इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस कहते थे. भारत में मुंबई में साल 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.