Railway privatisation plan: रेलवे के निजीकरण की प्रक्रिया के तहत फाइनेंशियल बिडिंग में केवल 2 कंपनियों ने इंट्रेस्ट दिखाया, इसमें एक तो IRCTC है. माना जा रहा है कि रेलवे की कुछ कठोर शर्तों के कारण निजी निवेशक इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं.

केंद्र सरकार रेलवे के निजीकरण को लेकर पूरी तरह तैयार है, लेकिन इसे सही खरीदार नहीं मिल पा रहा है. रेलवे ने 30 हजार करोड़ के निजीकरण के अपने मेगा प्लान पर दोबारा गौर करने का फैसला किया है. माना जा रहा है कि रेग्युलेटर का नहीं होना, फिक्स्ड हॉलेज चार्ज, रेवेन्यू शेयरिंग बिजनेस मॉडल, रूट फ्लेक्सिबिलिटी जैसी कुछ समस्याएं हैं जिसके कारण प्राइवेट प्लेयर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.

निजीकरण को लेकर रेलवे की तरफ से जुलाई 2020 में टेंडर जारी किया गया था. RFQ (रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन) जो शुरुआती चरण होता है उसके तहत अक्टूबर 2020 तक 15 कंपनियों की तरफ से 12 क्लस्टर के लिए 120 एप्लिकेशन प्राप्त हुए थे. प्राइवेट ट्रेन को लेकर मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, साईनाथ सेल्स एंड सर्विसेज, IRB इन्फ्रास्ट्रक्चर, IRCTC, GMR हाइवे, वेल्सपन एंटरप्राइजेज, गेटवे रेल फ्रेट लिमिटेड, क्यूब हाइवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, मलेमपटि प्राइवेट लिमिटेड, L&T इन्फ्रास्ट्रक्चर, आरके एसोसिएट्स एंड होटेलियर, Construcciones y Auxiliar de Ferrocarrriles, S.A, पीएनसी इन्फ्राटेक, अरविंद एविएशन और BHEL की तरफ से आवेदन डाले गए थे.

जुलाई 2021 में शुरू हुई थी फाइनेंशियल बिडिंग

सीएनबीसी टीवी18 की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे की योजना फरवरी 2021 तक क्लस्टर बंटवारा कर देने की थी. कोरोना के कारण इस प्रक्रिया में देरी हुई और फाइनेंशियल बिडिंग में केवल दो कंपनियां शामिल हुईं. जुलाई 2021 में रेलवे ने फाइनेंशियल बिडिंग को खोला था. प्राइवेट ट्रेन के लिए केवल मेघा इंजीनियरिंग और IRCTC की तरफ से फाइनेंशियल बिडिंग जमा की गई. माना जा रहा है कि रेलवे दोबारा टेंडर जारी कर सकता है. इसकी मदद से नए निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश की जाएगी.

151 प्राइवेट ट्रेनें चलाई जाएंगी

रेलवे की तरफ से जुलाई 2020 में प्राइवेट ट्रेन को लेकर प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी. रेलवे 109 जोड़ी रूट पर प्राइवेट ट्रेनों का संचालन शुरू करना चाहता है. इसके लिए 151 प्राइवेट ट्रेनें चलाई जाएंगी. 109 रूट को 12 क्लस्टर में बांटा गया है. प्राइवेट ट्रेन के लिए मैक्सिमम स्पीड 160 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. हर ट्रेन में कम से कम 16 कोच होंगे. माना जा रहा है कि इसके जरिए रेलवे को 30 हजार करोड़ का निवेश मिलेगा. प्राइवेटाइजेशन को लेकर सबसे प्रमुख शर्त ये है कि सभी प्राइवेट ट्रेनें मेड इन इंडिया होनी चाहिए.

कई तरह के चार्जेज वसूलेगा रेलवे

रेवेन्यू मॉडल की बात करें तो प्राइवेट प्लेयर्स को रेलवे को फिक्स्ड चार्ज या हॉलेज चार्ज, एनर्जी चार्ज समेत कुछ अन्य तरह के चार्ज देने होंगे. इसके अलावा ग्रॉस रेवेन्यू में भी रेलवे का हिस्सा होगा. रेलवे और प्राइवेट प्लेयर्स के बीच जो करार होगा उसके तहत छूट वाली पीरियड 35 सालों की होगी. माना जा रहा है कि तमाम चार्जेज और रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के कारण ही प्राइवेट प्लेयर्स इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं.