रेलवे ने आपदा को अवसर में बदलते हुए पैसेंजर ट्रेनों को भी स्पेशल बनाकर एक्सप्रेस का न्यूनतम 30 रुपये किराया वसूलने लगा। रेलवे को बिना घोषित बढ़ा हुआ किराया तो मिलने लगा है लेकिन स्थानीय यात्रियों का रुझान कम हो गया।

अगर आपको गोरखपुर जंक्शन से चार से पांच किमी की दूरी पर स्थित कैंट, नकहा और डोमिनगढ़ भी जाना हो तो कम से कम प्लेटफार्म टिकट के बराबर 30 रुपये किराया देना होगा। रेलवे बोर्ड ने स्थानीय यात्रियों की सुविधा के लिए लोकल रूट पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों (सवारी गाड़ी) का संचालन तो शुरू कर दिया। लेकिन आपदा को अवसर में बदलते हुए पैसेंजर ट्रेनों को भी स्पेशल बनाकर एक्सप्रेस का न्यूनतम 30 रुपये किराया वसूलने लगा। रेलवे को बिना घोषित बढ़ा हुआ किराया तो मिलने लगा है, लेकिन स्थानीय यात्रियों का रुझान कम हो गया। इस कारण रेलवे को कई पैसेंजर ट्रेनों को रद करना पड़ा है।

स्पेशल के नाम पर किराया बढ़ते ही घट गए यात्री कोरोना की दूसरी लहर के बाद स्थिति सामान्य होने पर गोरखपुर जंक्शन से लंबी दूरी की स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेनें फुल होकर रवाना हो रही हैं। वहीं सवारी गाड़ियां खाली चल रही हैं, यात्री ही नहीं मिल रहे हैं। सामान्य दिनों में गोरखपुर जंक्शन से 26 पैसेंजर ट्रेनें चलती थीं। लेकिन आज गोरखपुर से गोंडा, बस्ती, बढ़नी, नरकटियागंज, सिवान और छपरा रूट पर कुल नौ ही चल रही हैं। इन ट्रेनों के लिए भी यात्री नहीं मिल रहे। एक ट्रेन में 10 से 12 कोच लगते हैं। इन कोचों में करीब एक हजार सीट होती हैं।

अभी यह है स्थिति लगभग नौ हजार सीटों के लिए गोरखपुर जंक्शन से रोजाना करीब 1500 जनरल टिकट ही बुक हो पा रहे हैं। यानी एक ट्रेन में 100 से 150 टिकट ही बिक रहे हैं। जानकारों का कहना है कि एक तो बढ़ा हुआ किराया, ऊपर से मासिक सीजन टिकट भी बंद हो गया है। भले ही लंबी दूरी की लगभग सभी एक्सप्रेस व मेल ट्रेनें चलने लगी हैं, लेकिन 70 फीसद सवारी गाड़ियां आज भी रेलवे स्टेशन के यार्डों में खड़ी हैं। अब तो डिमांड के आधार पर ही सवारी गाड़ियां चलाई जाएगी। यानी, यात्री मिलने पर ही चलेंगी। हालांकि, रेलवे प्रशासन ने कुछ ट्रेनों को संचालित करने का प्रस्ताव तैयार किया है। लेकिन चलाने के लिए हरी झंडी मिलने की उम्मीद कम ही दिख रही है।