केंद्र सरकार ने डेढ़ साल बाद केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) को बहाल करने का फैसला लिया है। अब कर्मचारियों को डीए या डीआर 28 फीसदी की दर से दी जाएगी। ये मूल वेतन/पेंशन के 17% की मौजूदा दर में 11% की बढ़ोतरी को दिखाता है। सरकार के इस फैसले से करीब 1.14 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ होगा। 

हालांकि, अब भी इससे जुड़े कुछ सवाल हैं जिसको लेकर लोगों में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। आइए, हम आपके इस कन्फ्यूजन को दूर करते हैं। 

क्या है कन्फ्यूजन: दरअसल, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सरकार ने डीए और डीआर की तीन अतिरिक्त किस्तों को रोक लिया था। ये किस्तें एक जनवरी, 2020, एक जुलाई, 2020 और एक जनवरी, 2021 से बकाया थीं। अब सरकार ने इन तीनों किस्त को बहाल करने की बात कही है। इससे कई कर्मचारियों के बीच ये कन्फ्यूजन है कि सरकार तीनों किस्त की बकाया रकम का भुगतान करेगी। 

सच्चाई क्या है: सच ये है कि सरकार इन तीनों किस्त की बकाया रकम का भुगतान नहीं करेगी। सरकार की ओर से जारी बयान में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि बकाये का भुगतान नहीं किया जाएगा। बयान के मुताबिक एक जनवरी, 2020 से 30 जून 2021 तक की अवधि के लिए डीए/डीआर दर मूल वेतन/पेंशन पर 17 प्रतिशत की दर पर बनी रहेगी। मतलब ये कि डीए और डीआर की बढ़ी हुई दर का जुलाई 2021 से भुगतान किया जाएगा।

कितना पड़ेगा बोझ: महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दोनों के कारण राजकोष पर वित्त वर्ष 2021-22 (जुलाई, 2021 से फरवरी, 2022 तक आठ महीने की अवधि के लिए) में 22,934.56 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। वहीं, प्रति वर्ष 34,401.84 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने की आशंका है।