रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा के अनुसार, रोज करीब 150 कर्मचारी ही संक्रमित हो रहे हैं। साढ़े तीन से चार हज़ार रेलवे कर्मी या उनके परिवार के सदस्य इन अस्पतालों में भर्ती हैं। हमारा प्रयास है कि वो जल्दी ठीक हो जाएं…

देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों का आंकड़ा भी हर दिन कम होता दिखाई दे रहा है। भारतीय रेलवे से राहत भरी खबर सामने आ रही है। एक समय जहां रेलवे में रोज एक हजार कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो रहे थे, अब उनकी संख्या घटकर महज 150 तक रह गई है। हालांकि अब तक कोरोना से करीब 2600 से ज़्यादा रेलवे कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा के अनुसार रेलवे किसी अन्य राज्य या क्षेत्र से अलग नहीं है। हम परिवहन का काम करते हैं और सामान व लोगों को लाते और ले जाते हैं। हमने भी कोविड संक्रमण की मार झेलते लोगों की मदद की है। रेलवे कर्मचारी हमारी पूंजी है। अब तक करीब 60 फीसदी कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। आज कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है। रोज करीब 150 कर्मचारी ही संक्रमित हो रहे हैं। हम अपने स्टॉफ का पूरा ख्याल रख रहे हैं। उन्हें आवश्यक मेडिकल सुविधा भी उपलब्ध करा रहे हैं। रेलवे के अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गई है, रेल अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र लगाए गए हैं। फिलहाल साढ़े तीन से चार हज़ार रेलवे कर्मी या उनके परिवार के सदस्य इन अस्पतालों में भर्ती हैं। हमारा प्रयास है कि वो जल्दी ठीक हो जाएं।

हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्विटर पर लिखा था कि कोविड महामारी की चुनौती से लड़ने के लिये भारतीय रेल के प्रयास निरंतर जारी हैं। इसी क्रम में रेलवे हॉस्पिटल्स में 86 ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही कोविड बेड्स और वेंटिलेटर्स की संख्या भी बढ़ाई गयी है। हमारे रेल कर्मचारी कोरोना महामारी के विरुद्ध इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने रेल कर्मचारियों के प्रति उनके इस योगदान के लिए आभार जताया है।

इधर, रेलवे के सबसे बड़े कर्मचारी संघ ने सोमवार को एक बड़ा अभियान शुरू किया है। इस अभियान के जरिए उन्होंने मांग की है कि उन्हें फ्रंटलाइन कोविड वर्कर्स घोषित किया जाए क्योंकि वे कोरोनो वायरस संकट के दौरान लोगों की सेवा कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में वह 2,000 से अधिक सहयोगियों को खो चुके हैं।

उन्होंने अपनी मांग को और मजबूत करने के लिए ट्विटर पर इस अभियान पर लोगों का समर्थन मांगा है। एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि दिन-रात अपने कर्तव्यों का पालन करने और अपने मूल्यवान जीवन का बलिदान करने के बावजूद फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में ना पहचाने जाने पर रेलवे कर्मचारियों में गंभीर अशांति और असंतोष है।

उन्होंने कहा कि जहां सरकार अन्य विभागों के कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर मानकर तमाम सुविधाएं मुहैया करा रही है, वहीं रेलकर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। अगर मांगें नहीं मानी गईं और सरकार ने उन्हें वो सारे लाभ नहीं दिए जो एक फ्रंटलाइन वर्कर्स को दिए जाते हैं तो आंदोलन तेज कर दिया जाएगा।