नई दिल्‍ली : भारतीय रेल (Indian Railways) के जिन वातानुकूलित कोचों में ठंडी हवाओं का आनंद लेते हुए यात्री जितना आरामदायक सफर करते हैं, उन्‍हीं ट्रेनों में इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल विभागों के कर्मचारी मुश्किलों के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन रेल कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर दिक्‍कत ये है कि मेल/एक्सप्रेस (Mail/Express Trains) और हाई स्पीड ट्रेनों (High Speed Trains) में उन्‍हें आराम करने की कोई सुविधा नहीं दी जाती. इन कर्मचारियों को ट्रेनों के चलाने के दौरान कोई सीट/बर्थ उपलब्ध नहीं कराई जाती. साथ ही गंतव्य स्टेशनों पर भी उन्हें विश्राम सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं. रेल यूनियन एनएफआईआर की तरफ से रेलवे बोर्ड के समक्ष यह मामला उठाया गया है.

रेलवे बोर्ड को लिखा गया पत्र रेलवे बोर्ड के सचिव (स्‍थापना) को लिखे पत्र में कहा गया है क‍ि वर्तमान में मेल/एक्सप्रेस और हाई स्पीड ट्रेनों जैसे राजधानी, दुरंतो, डबल डेकर, वंदे भारत सरीखी ट्रेनों के एसी कोचों में एस्कॉर्ट करने वाले इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल विभागों के कर्मचारियों के लिए कोई आराम करने की सुविधा नहीं दी गई है.

इन कर्मचारियों के लिए कोई सीट/बर्थ उपलब्ध नहीं कराई जाती पत्र में कहा गया है क‍ि रेलवे बोर्ड को यह अच्‍छी तरह पता है कि अधिकांश ट्रेनें विशेष रूप से राजधानी, मेल/एक्सप्रेस और अन्य महत्वपूर्ण उच्च गति वाली ट्रेनें एलएचबी रेक के साथ चल रही हैं, जिनके अंत में भारी जेनरेटरों के साथ विद्युत उत्पादन होता है. इस सफर में इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल एवं जीएंडडब्‍ल्‍यू विभाग के कर्मचारियों के लिए कोई सीट/बर्थ उपलब्ध नहीं कराई जाती है, जबकि अन्य श्रेणियों के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सीटें/बर्थ आवंटित की जाती हैं. इसके चलते एसी/एस्कॉर्ट करने वाले इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल एवं G&W विभाग के कर्मचारियों को आराम करने की सुविधा के लिए बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गौर करने वाली बात यह भी है कि ट्रेन के गंतव्‍य स्‍टेशन पर समाप्‍त होने पर जनरेटर टर्मिनल पर बंद हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कोचों में पंखे और लाइट भी काम नहीं करते हैं.

स्‍टेशनों पर रिटायरिंग रूम या रेस्‍ट हाउस में आराम करने की सुविधा नहीं मिलती उत्‍तर रेलवे मजदूर यूनियन के अध्‍यक्ष एसएन मलिक का कहना है कि हर ट्रेन में सफर के दौरान इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल एवं G&W विभाग के कम से कम 8 कर्मचारी मौजूद रहते हैं, जिनके कंधों पर ट्रेन को बिना किसी तकनीकी एवं अन्‍य व्‍यवधान के चलाने की अहम जिम्‍मेदारी होती है, लेकिन इन कमर्चारियों को ना तो ट्रेन में बर्थ उपलब्‍ध कराई जाती है, ना ही स्‍टेशनों पर उन्‍हें रिटायरिंग रूम या रेस्‍ट हाउस में आराम करने की सुविधा उपलब्‍ध कराई जाती है. ऐसे में यह स्‍टाफ अपने स्‍तर पर ही बेहद समस्‍याओं के बीच अपनी ड्यूटी का निर्वहन करते हुए जैसे-तैसे आराम कर पाते हैं. अनुमानित तौर पर ऐसे कर्मचारियों की संख्‍या 70 हजार से ज्‍यादा है.

पीएनएम फोरम में महाप्रबंधक के स्तर पर उठाया जा चुका है मुद्दा वह बताते हैं कि हमारी संबद्ध यूनियनों में से एक यानी उत्‍तर पश्चिम मजदूर रेलवे संघ (यूपीआरएमएस) ने पीएनएम फोरम में महाप्रबंधक के स्तर पर इस मुद्दे को उठाया है, जिसके परिणामस्वरूप एनडब्ल्यू रेलवे ने रेलवे बोर्ड को 2019 में एक पत्र भी लिखा, लेकिन उस पर आगे कोई उचित कार्रवाई न होने के चलते एनएफआईआर की तरफ से रेलवे बोर्ड के समक्ष यह मुद्दा दोबारा उठाया गया है.