केंद्र सरकार ने अगले चार सालों में (2025 तक) निजीकरण के जरिए 5 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। इसके लिए नीति आयोग 100 महत्वपूर्ण सरकारी संपत्ति की पहचान की है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

नीति आयोग ने अलग-अलग मंत्रालयों से कहा है कि वे निजीकरण करने लायक संपत्ति की पहचान करें। इसलिए तमाम प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए अभी से तैयारी शुरू करने का निर्देश जारी किया गया है। नीति आयोग द्वारा 10 अलग-अलग मंत्रालयों और पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज की 31 महत्वपूर्ण संपत्तियों की पहचान की जा चुकी है और इसकी सूची भी संबंधित मंत्रालयों को सौंपी जा चुकी है। सूत्रों ने बताया कि निजीकरण के लिए जमीन को लैंड मैनेजमेंट एजेंसी को सौंप दिया जाएगा जिससे प्रक्रिया में तेजी आएगी। पूर्ण स्वामित्व वाली भूमि को भी एजेंसी को ही सौंपा जाएगा जिससे मोनेटाइजेशन का काम जल्दी होगा। यह एजेंसी या तो जमीन की बिक्री कर देगी या फिर रिट्स की मदद से इसे पूरा किया जाएगा। सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विनिवेश और निजीकरण का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये रखा है। चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2.10 लाख करोड़ रखा गया था लेकिन कोरोना के कारण अभी तक केवल 21,300 करोड़ ही जुटा पाई है।

इन संपत्तियों का मौद्रीकरण संभव सरकारी की योजना के अनुसार जिन संपत्तियों को मौद्रीकरण की जानी हैं उनमें टोल रोड, पोर्ट, क्रूज टर्मिनल, टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऑयल एंड गैस पाइपलाइन, ट्रांसमिशन टॉवर, रेलवे स्टेशन, स्पोर्ट्स स्टेडियम, माउंटेन रेलवे, ऑपरेशनल मेट्रो सेक्शन, वेयरहाउसेस और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स शामिल हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि इन संपत्तियों का निजीकरण करना बहुत ही आसान होगा क्योंकि इनसे कमाई का रास्ता लेते ही शुरू हो जाएगा। इससे सरकार को अपने विनिवेश को लक्ष्य प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।