मोबाइल फोन पर बातचीत में मशगूल एक महिला रेल कर्मचारी ने 7200 रुपये की रकम को 72000 रुपए चढ़ा दिया। इसके चलते कैश मिलान के दौरान घंटों अफरातफरी मची रही। इसी तरह एक बुकिंग क्लर्क ने मोबाइल फोन पर बातचीत करने के दौरान, एक यात्री का टिकट ही गलत गंतव्य का बना दिया।

जानकारी के मुताबिक, रेलवे में एक महिला क्लर्क की ड्यूटी टीटीई से कैश लेकर जमा करने और मनी रिसिप्ट (एमआर) भरने की है। करीब दो सप्ताह पहले रेलवे स्टेशन पर जब वह एक टीटीई से कैश लेने के बाद एमआर भर रहीं थीं तो किसी का फोन आ गया।

मोबाइल फोन पर बात करते करते वह कागजी काम भी निपटाने लगीं। इसी बीच कब आंकड़ा गलत भर दिया, उन्हें पता ही नहीं चला। एमआर पर उन्होंने 7200 की जगह 72000 भर दिया। टीटीई भी कैश जमा करके चला गया। मामला तब पकड़ में आया जब शाम को कैश का मिलान किया गया।

करीब 65 हजार रुपये कम थे। इस सूचना को किसी ने टीटीई ग्रुप में डाल दिया। इसके बाद कामर्शियल विभाग में हड़कंप मच गया। कई टीटीई घर से रात में स्टेशन पहुंचे। काफी खोजबीन के बाद जिस टीटीई के एमआर में गलती से एक शून्य बढ़ गया था, उसे बुलाया गया और रात के दस बजे दोबारा एमआर भरवाया गया।

 
टिकट में भर दी गलत तारीख
आरक्षण केंद्र पर भी बुकिंग क्लर्क मोबाइल फोन पर बात करते हुए टिकट बनाते रहते हैं। इस दौरान गलतियां खूब होती हैं। कई बार तो झिकझिक हो जाती है। सप्ताह भर पहले राजेश नाम के एक यात्री ने टिकट बनवाया। फार्म उसके साथ आए परिवार के सदस्य ने भरा था। मुंबई का टिकट लेकर वे घर चले गए।

दूसरे दिन वह आए और टिकट गलत तारीख की बनाने की शिकायत की। आवेदन का बंडल निकाला गया तो पता चला कि क्लर्क की गलती थी। टिकट बनाते समय मोबाइल पर बात करने लगीं और चूक हो गई। बहरहाल, टिकट को कैंसिल कर दूसरा टिकट बनाकर दिया गया।  

फिजिशयन डॉ. गौरव पांडेय ने कहा कि जब हम मोबाइल फोन पर बात करते हैं और उसी समय कोई अन्य दूसरा काम करते हैं तो दिमाग दो जगह बंट जाता है। जिस ओर ज्यादा दिलचस्पी होती है उधर ही ज्यादा ध्यान केंद्रित होता है। इसे माइंड डायवर्जन कहते हैं। 40 से 50 प्रतिशत मामलों में गलती होने की संभावना ज्यादा होती है।