रेल प्रशासन अब वीआइपी ट्रेनों को तेजस बनाकर चला रहा है, जबकि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। वंदेभारत एक्सप्रेस तेजस बनकर चलने वाली पहली ट्रेन हो गई है। खास बात यह है कि इसमें चेयरकार के साथ स्लीपर कोच भी लगाए जा रहे हैं। रेलवे के इस प्रयोग से निजीकरण की सुगबुगाहट को भी बल मिलना शुरू हो गया है।

वाराणसी से दिल्ली के बीच चलने वाली सेमी हाइस्पीड ट्रेन वंदे भारत को तेजस के कोच के साथ चलाने का निर्णय रेलवे बोर्ड ने लिया था। इसी के साथ 15 फरवरी से इस ट्रेन को शुरू भी कर दिया गया। अब अगरतला से दिल्ली के लिए चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस को भी तेजस कोच के साथ चलाया जा रहा है। 17 फरवरी से यह ट्रेन भी चलने लगेगी।

बता दें तेजस को आइआरसीटीसी निजी ट्रेन के रूप में संचालित करता है। ट्रेन की टिकट बुकिंग, किराया, सुरक्षा और चेकिंग के सभी कार्य आइआरसीटीसी के कर्मचारी करते हैं। आइआरसीटीसी तेजस का मेंटीनेंस रेलवे से कराता है और इसका खर्च रेलवे को देता है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि तेजस के कोच लगाकर रेलवे ने वीआइपी ट्रेनों के निजीकरण की शुरुआत कर दी है। क्योंकि कोच का मेंटीनेंस सतत चलने वाली प्रक्रिया है जो पहले भी होती थी। रेलवे के कर्मचारी नेता मान सिंह बताते हैं कि वीआइपी ट्रेनों में निजी ट्रेन के कोच लगाना व्यवहारिक दृष्टि से संदेह पैदा करता है। यह प्रयोग निश्चित ही निजीकरण की ओर इशारा कर रहा है।

स्लीपर कोच भी लगेंगे तेजस में चेयरकार और एक्जीक्यूटिव कोच होते हैं जबकि वंदे भारत में लगाए गए कोच में चेयरकार के साथ स्लीपर कोच भी जोड़े गए हैं। अगरतला राजधानी एक्सप्रेस को भी स्लीपर कोच के साथ चलाया जाएगा।

  • रेलवे बोर्ड ने वंदे भारत और अगरतला राजधानी एक्सप्रेस को तेजस कोच के साथ चलाने का निर्णय लिया है। राजधानी एक्सप्रेस 17 फरवरी से अपने निर्धारित रूट और समय पर चलेगी। -अजीत कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल