इमरजेंसी में कर्मचारी के आश्रित परिजन अब सीधा सूचीबद्ध निजी अस्पताल में भर्ती हो सकेंगे, अब उन्हें रेलवे अस्पताल से रेफर कराने की आवश्यकता नहीं होगी। इस सुविधा से रेलवे के लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी। इसमें अंबाला मंडल में कार्यरत लगभग 14 हजार कर्मचारियों के परिजन भी शामिल हैं। इसका फायदा रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिजनों को भी मिलेगा।

जहां एक तरफ रेल कर्मचारियों का पूरा डाटा एचआरएमएस पोर्टल पर अपलोड किया गया है, वहीं उन्हें अब ई-पास सहित अन्य सुविधाएं भी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसी कड़ी में अब रेलवे ने अपने कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों के परिजनों को इमरजेंसी उपचार की व्यवस्था में राहत दी है। रेलवे बोर्ड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर उमेश बलौंदा की तरफ से 28 दिसंबर को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। रेलवे का कहना है कि इमरजेंसी की परिस्थिति में कर्मचारी के आश्रित सीधे सूचीबद्ध निजी अस्पताल में भर्ती हो सकेगा और उसे रेलवे अस्पताल से उसी समय रेफर करवाने की आवश्यकता नहीं होगी। आश्रितों को सूचीबद्ध अस्पताल में रेलवे की ओर से जारी यूनिक मेडिकल कार्ड पहचान पत्र के रूप में दिखाना होगा। भर्ती होने के 24 घंटे में निजी अस्पताल रेलवे को मरीज के बारे में सूचना देगा और रेलवे अगले 24 घंटे में मरीज के रेफर होने की प्रक्रिया पूरी कर देगा।

झेलनी पड़ रही थी परेशानी
रेलवे अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की कमी की वजह से कर्मचारियों के आश्रितों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। इमरजेंसी होने पर उन्हें पहले रेलवे अस्पताल से रेफर करवाना पड़ता था। कई बार सीधा सूचीबद्ध अस्पताल जाने पर उपचार के लिए एडवांस के तौर पर पैसे जमा कराने पड़ते थे, हालांकि ये पैसे रेलवे अस्पताल से रेफर प्रक्रिया के बाद वापस मिल जाते थे। ऐसे में परिजनों को बेवजह परेशानी होती थी। रेलवे कर्मचारियों की इस परेशानी का पता चलने पर अब रेलवे बोर्ड ने निर्देश जारी किए हैं कि इमरजेंसी के लिए रेफर की औपचारिकता निजी अस्पताल व रेलवे के बीच ई-मेल के माध्यम से होगी। निजी अस्पताल को मरीज के भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर उसकी इमरजेंसी का उल्लेख करते हुए केस की जानकारी रेलवे को भेजनी होगी।

रेलवे का यह भी कहना है कि सूचीबद्ध अस्पताल में मरीज से एडवांस के रूप में कोई राशि नहीं ली जाएगी और उसे कैशलेस उपचार देना होगा। मरीज के बारे में रिपोर्ट मिलने पर यदि रेलवे को लगता है कि वह इमरजेंसी श्रेणी में नहीं आता है तो उसे सीजीएसएच या अस्पताल की दरों के बारे जानकारी दी जाएगी, ताकि वह अपनी इच्छा से स्वयं भुगतान कर उपचार करवा सके।
रेलवे कर्मचारियों के आश्रितों को इमरजेंसी के दौरान काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। रेलवे बोर्ड ने पहले कर्मचारियों को यह सुविधा दी थी, अब आश्रितों को राहत देकर रेलवे ने सराहनीय कार्य किया है। इससे लाखों कर्मचारियों के परिजनों को फायदा होगा।