वित्त मंत्री​ निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आगामी 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करने वाली हैं. इस बार के बजट में वित्त मंत्री देश में बुलेट ट्रेन नेटवर्क (Bullet Train Network) के विस्तार के बारे में जानकारी दे सकती हैं. पिछले साल ही दिसंबर में रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) ने लंबी अवधि में अपनी रणनीति के लिए ‘नेशनल रेल प्लान 2024’ जारी किया था. इसमें रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षमता और मॉडल शेयर को बढ़ाने के बारे में जानकारी थी. इसमें हाई-स्पीड रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने का भी जिक्र था. मंत्रालय ने यह भी कहा था कि जनवरी 2021 तक इस प्लान को अंतिम रूप दे दिया जाएगा.

प्रस्तावित ड्राफ्ट प्लान के तहत साल 2051 तक देशभर में 8,000 किलोमीटर के हाई-स्पीड रेल नेटवर्क (High Speed Rail Network) तैयार किए जाएंगे. इसमें नये बुलेट ट्रेन कॉरिडोर्स भी शामिल हैं. वाराणसी-पटना, अमृतसर-जम्मू और पटना-गुवाहाटी रूट के लिए भी बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का प्रस्तावित है. वर्तमान में भारत में केवल एक ही बुलेट ट्रेन कॉरिडोर है. यह मुंबई और अहमदाबाद के बीच में है और इसपर अभी काम चल रहा है. हालांकि, ज़मीन अधिग्रहण के मामलों को लेकर इसमें देरी हो रही है. विशेषतौर पर यह समस्या महाराष्ट्र में देखने को मिल रही है.

बुलेट ट्रेन के अन्य कॉरिडोर में ​आयोध्या के जरिए दिल्ली-वाराणसी, हैदराबाद-बेंगलुरु और मुंबई-नागपुर के बीच भी प्रस्तावित है. पिछले आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि केंद्र सरकार मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को तत्परता से पूरा करने पर जोर देगी.

रेलवे को मिल सकता है अब तक का सबसे ज्यादा आवंटन
इसके अलावा भी देश के रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर में कई तरह के बड़े बदलाव होने वाले हैं. आने वाले बजट में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रेलवे की पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है. चालू वित्त वर्ष में रेलवे का कैपेक्स 1,61,062 करोड़ रुपये तय किया गया था. अगर वित्त मंत्रालय रेलवे बोर्ड के प्रस्तावों को मान लेता है तो इसमें बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

पिछले 6 साल में रेलवे ने प्रोजेक्ट्स पर रिकॉर्ड खर्च किया
सरकार के अनुसार, अधर में लटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए 2014 के बाद रेलवे के पूंजीगत व्यय में भारी इजाफा किया गया है. नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (PIP) प्लान के तहत रेलवे सेक्टर में ही 2024-25 तक 11.43 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं. इस रोडमैप के आधार पर वित्त वर्ष 2022 में ही 3.08 लाख करोड़ रुपये का खर्च करने की उम्मीद है. 2014 से 2020 के बीच रेलवे का कुल पूंजीगत व्यय 6 लाख करोड़ रुपये रहा है. 2019 से 2014 के बीच के लिए पूंजीगत व्यय इसके करीब 50 फीसदी ही था. रेलवे साल 2030 तक माल ढुलाई के क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 30 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी करने की तैयारी में है.

वर्तमान में, 49,069 किलोमीटर के 498 प्रोजेक्ट्स पर रेलवे करीब 6.75 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. ये सभी प्रोजेक्ट्स विभिन्न चरणों में हैं. इनमें, 58 प्रोजेक्ट्स को बेहद अहम माना जा रहा है, जबकि 68 अहम की श्रेणी मे हैं. इसके अलावा, पैसेंजर्स की क्षमता बढ़ाने और माल ढुलाई को बढ़ाने के लिए 247 डबलिंग, 198 नई लाइनों, 522 ट्रैफिक सुविधाएं और 55 गेज कन्वर्ज़न का काम हो रहा है.