रेलवे के खाली पड़े आवासों में दर्जनों लोग सालों से अपना कब्जा जमाए हुए हैं। यह न सिर्फ अवैध रूप से आवासों में रह रहे हैं, बल्कि रेलवे की बिजली और पानी का उपयोग भी कर रहे हैं। इन्हें रेलवे कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। हैरानी की बात तो यह है कि रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी इससे अनजान बनते हैं, तो फिर इन आवासों में बिजली और पानी सप्लाई किसके इशारों पर की जा रही है। यह अपने आप में बड़ा सवाल है।

दरअसल बीना पूर्वी और पश्चिमी रेलवे कॉलोनियां हैं। इन कॉलोनियों में सैकड़ों की संख्या में रेलवे आवास हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर आवास लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं। कई आवासों में बाहरी लोगों ने अपन कब्जा जमा लिया है। यह सालों से रेलवे कर्मचारियों की तरह शान से रह रहे हैं। दोनों कॉलोनियों के जिम्मेदार अधिकारियों ने इन लोगों से आवास खाली कराना तो दूर कभी बिजली और पानी सप्लाई बंद करने की भी जहमत नहीं उठाई। एक रेलवे सूत्र ने बताया कि नियमानुसार रेलवे के जिस आवास को खाली या खंडहर घोषित कर दिया जाता है, उसकी बिजली और पानी सप्लाई बंद कर दी जाती है, लेकिन रेलवे के रिकॉर्ड में खाली पड़े कई आवास रात में रोशन रहते हैं। इन आवासों में बाहरी लोग अवैध रूप से परिवार के साथ रह रहे हैं। ऐसा नहीं कि रेलवे अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है, इसके बाद भी वह कार्रवाई करने में परहेज करते हैं। इससे बिजली पानी पर रेलवे को हर माह रुपये फिजूल में खर्च करने पड़ रहे हैं।

आपराधिक घटनाओं का रहता है डर खाली आवासों में रहने वालों लोगों को रिकॉर्ड किसी के पास नहीं रहती है। यदि कोई आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति इन आवासों में रहने लगे तो आपराधिक घटनाएं हो सकती हैं। यह जानते हुए भी रेलवे अधिकारी न तो खंडहर हो चुके आवासों तो तुड़वाने में रुचि दिखा रहे हैं और न ही उनमें रहने वालों से आवास खाली करा रहे हैं। बार-बार शिकायत के बाद भी अधिकारी सख्त कदम नहीं उठा रहे हैं।

कॉलोनी में कोई भी बाहरी आदमी नहीं है रेलवे के खाली पड़े आवास में यदि कोई चुपचाप आकर रहने लगता है और उसे भगा दिया जाता है तो उस तरह की बातें करते हैं। कई लोग खाली आवास में रहने की इजाजत मांगते हैं, लेकिन उन्हें मना कर दिया जाता है। ऐसे लोग झूठी शिकायतें करते हैं। कॉलोनी में कोई अवैध रूप से नहीं रह रहा है। – अशोक ठाकुर, आईओडब्ल्यू, बीना