ट्रेनों के चलते ही रेलवे कर्मचारी खिड़की और दरवाजे बंद का देंगे। इसके बाद अगले स्टेशन पर ट्रेनों के रुकने पर ही दरवाजा खुलेगा।

कोविड-19 के नियम का पालन करते हुए सीट की संख्या के आधार पर यात्रियों को सवार होने दिया जाता है। वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को सवार नहीं होने दिया जाता है। इससे जनरल बोगी में भी यात्री आराम से सफर करते हैं। स्लीपर कोच में 72 से अधिक यात्री नहीं होते हैं। यात्रियों की संख्या सीमित होने पर सफर करने वाले यात्री लापरवाह हो जाते हैं और अपने सामान आदि पर ध्‍यान देना छोड़ देते हैं। इसका लाभ अपराधी उठा रहे है। ट्रेनों के आउटर सिग्नल पर रुकते ही अपराधी कोच के अंदर घुस जाते हैं और यात्री का मोबाइल आर सामान लेकर भाग जाते हैं। एसी कोच का दरवाजा बंद होता है, इसलिए इसमें इस तरह की घटनाएं नहीं होती है। स्लीपर और जनरल बोगी में इस तरह की घटनाएं होती हैं। इस तरह की घटना रात के समय होती है।

पिछले माह रेल मंडल में 50 यात्रियों का मोबाइल ट्रेन से चोरी हो चुका है। रेल प्रशासन और रेलवे पुलिस ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के ल‍िए प्रयास करना शुरू कर द‍िया है। स्लीपर कोच में तैनात टीटीई और स्टाफ को आदेश द‍िए गए हैं क‍ि ट्रेन के चलते ही दरवाजेें बंद कर दें। रात में यात्रियों से खिड़की बंद करा दें। प्लेटफार्म ड्यूटी पर तैनात रेलवे कर्मचारी या रेलवे पुलिस सिग्नल होते ही जनरल बोगी में सवार यात्रियों से दरवाजा और खिड़की बंद करने के ल‍िए कहेंगे। सहायक वाणिज्य प्रबंधक नरेश सिंह ने बताया कि ट्रेनों में आपराधिक घटनाएं रोकने के लिए ट्रेनों के चलने के बाद खिड़की और दरवाजे बंद करने के आदेश द‍िए गए हैं।