रेलवे क्वार्टरों के पजेशन को लेकर रेलवे के नए नियमों का रेल कर्मियों ने स्वागत किया है। नए नियमों के अनुरूप में स्टाफ को कुछ ज्यादा शुल्क देकर अधिक अवधि तक क्वार्टर मिल सकेगा। ट्रांसफर या फिर रिटायर होने वाले कर्मियों को अक्सर दिक्कत होती थी, मगर रेलवे ने नियमों के कुछ फेरबदल किया है जिसका उन्हें लाभ मिलेगा।

बता दें कि कैंट रेलवे काॅलोनी में लगभग डेढ़ हजार अधिकारियों व स्टाफ के क्वार्टर है। यहां पर रेलवे का मंडल कार्यालय होने की वजह से अक्सर क्वार्टरों को लेकर मारामारी रहती है। उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन ने नए नियमों का स्वागत किया। यूनियन के मंडल सचिव यादराम उपाध्याय ने कहा कि इन नियमों से रेलवे कर्मियों को फायदा होगा।

क्वार्टरों को लेकर रेलवे ने बदले नियम स्थाई ट्रांसफर स्टाफ की ट्रांसफर होने पर रेलवे कर्मचारी को सरकारी क्वार्टर छोड़ने के लिए 2 माह का समय दिया जाएगा। दो माह तक सामान्य लाइसेंस फीस कर्मचारी से ली जाएगी। यदि 2 माह तक कर्मचारी क्वार्टर नहीं छोड़ता तो इसके आगे 6 माह उससे डबल लाइसेंस फीस ली जाएगी। इसके बाद कर्मी को हर हाल में क्वार्टर छोड़ना होगा। यदि कर्मचारी के बच्चे का स्कूल या काॅलेज में शैक्षिक सत्र चल रहा है तो कर्मी को क्वार्टर सामान्य लाइसेंस फीस पर सत्र खत्म होने तक दिया जाएगा। शैक्षिक सत्र खत्म होने के 15 दिनों के भीतर स्टाफ को फिर क्वार्टर खाली करना होगा। यदि इसके बाद भी स्टाफ क्वार्टर नहीं छोड़ता तो उसपर भारी पैनल्टी के साथ डैमेज रेंट व अन्य चार्ज वसूल किए जाएंगे। बता दें कि पहले ट्रांसफर के 2 माह और इसके बाद डबल लाइसेंस फीस पर अधिकतम 2 माह तक ही क्वार्टर देने का प्रावधान था।

रिटायरमेंट रेलवे से रिटायर होने वाले कर्मी को 4 माह तक सामान्य फीस पर क्वार्टर दिया जाएगा। इसके बाद यदि स्टाफ क्वार्टर खाली नहीं करता तो उसे अगले 4 माह डबल लाइसेंस फीस पर क्वार्टर दिया जाएगा। यानि रिटायर होने के बाद अधिकतम 8 माह तक ही स्टाफ क्वार्टर में रह सकता है। पहले रिटायर होने के 2 व इसके बाद 2 माह और एक्सटेंशन दी जाती थी।