रेल कर्मचारियों के भत्तों पर कोरोना का असर दिखने लगा है। रात्रि भत्ता की कटौती के बाद रेलवे बोर्ड ने पिछले वर्ष की तुलना में भत्तों के मद में जारी करने वाले बजट को भी आधा कर दिया है। ऐसे में अब यात्रा भत्ता (टीए) और समयोपरिभत्ता (ओवर टाइम एलाउंस) में भी 50 फीसद की कटौती हो सकती है। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने इसको लेकर विभागवार समीक्षा शुरू कर दिया है। दरअसल, रेलवे बोर्ड ने कोविड-19 महामारी के चलते वित्तीय वर्ष 2020-2021 के समयोपरिभत्ता व यात्रा भत्ता का बजट पिछले वर्ष की तुलना में 50 फीसद कम कर दिया है। 

बोर्ड के दिशा-निर्देश के क्रम में पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन भी सभी विभागों से अपने स्तर से इसकी लागत कम करने और बचत बढ़ाने की समीक्षा एवं उपाय सुनिश्चित करने के लिए आदेश जारी कर दिया है। कार्मिक विभाग ने इज्जतनगर मंडल को पत्र भी लिख दिया है। जानकारों के अनुसार मुख्यालय गोरखपुर के अलावा लखनऊ और वाराणसी मंडल और उत्पादन इकाइयों में भी खर्चों में कटौती व लागत में कमी को लेकर समीक्षा शुरू हो गई है। ताकि, भत्तों के भुगतान संबंधी आने वाली कठिनाइयों से बचा जा सके। हालांकि, विभागों में अनावश्यक खर्चों में पहले ही कटौती शुरू कर दी गई है।

कर्मचारी संगठनों ने विरोध जताया 

रेलवे के कर्मचारी संगठनों में भत्तों में कटौती को लेकर आक्रोश है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्त ने रेलवे बोर्ड और पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन के दिशा-निर्देश का विरोध किया है। उनका कहना है कि रात्रि भत्ता में कटौती पहले ही कर दी गई है। अब यात्रा और ओवरटाइम भत्ते में कटौती की तैयारी है। यह अनुचित होगी। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ (पीआरकेएस) के महामंत्री विनोद कुमार राय का कहना है कि किसी भी कटौती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर कटौती हुई तो संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

रेलवे ने कहा

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ले बताया कि रेलवे में ई आफिस के लागू हो जाने से फाइलों को लाने और ले जाने में जहां मैन पावर की बचत हो रही है। वहीं यात्रा भत्ता में भी बचत हो रही है। कोविड-19 महामारी में ट्रेनों की संख्या कम हो जाने से ओवर टाइम भत्ता, यात्रा भत्ता व अन्य भत्तों के खर्चों में कमी आई है।