कोविड-19 के चलते करीब पांच महीने तक घर से ड्यूटी (वर्क फ्रॉम होम) करने वाले रेलकर्मियों को यात्रा भत्ता नहीं मिलेगा। रेलवे बोर्ड के इस फैसले से देश भर में हजारों रेल कर्मचारियों को झटका लगा है। रेलकर्मियों की ओर से यात्रा भत्ते को लेकर आवेदन के बाद रेलवे बोर्ड ने हाल ही स्थिति साफ की है। सभी क्षेत्रीय रेलवे को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

देश भर में जब कोविड-19 की भयावहता बढ़ी थी तब रेलवे में भी कामकाज बंद कर दिया गया था। ट्रेनों का संचालन बंद था। दफ्तरों में पहले 25 फीसदी, बाद में 50 फीसदी रेलकर्मियों को बुलाया गया। बाकी कर्मचारी घर से ही काम कर रहे थे। इसमें मुख्यालय व मंडल कार्यालयों में तैनात ऐसे रेलकर्मी शामिल थे, जो कुछ दूरी पर जाकर ड्यूटी करते हैं। ऐसे कर्मचारियों ने यात्रा भत्ता क्लेम किया। पूर्व में ड्यूटी के दौरान उन्हें यात्रा भत्ता मिलता रहा है।


रेलकर्मियों के क्लेम के बाद इस संबंध में क्षेत्रीय रेलवे प्रशासन की ओर से दिशा-निर्देश मांगा गया था। इस संबंध में रेलवे बोर्ड की डिप्टी डायरेक्टर (पे कमीशन) सुधा ए कुजुर ने 16 नवंबर को पत्र जारी कर नवंबर 2013 के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि अगर मुख्यालय या जहां पोस्टिंग है, पूरे कैलेंडर माह में रेलकर्मी अनुपस्थित रहता है तो वह यात्रा भत्ते के क्लेम का हकदार नहीं है।

उधर, रेलवे बोर्ड के इस आदेश पर पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। महामंत्री विनोद कुमार राय एवं प्रवक्ता एके सिंह ने कहा कि वर्क फ्रॉम होम कर्मचारी ने स्वत: नहीं लिया था। रेल प्रशासन के आदेश पर घर रहकर काम किया है। रेलकर्मी के क्लेम को स्वीकार करके यात्रा भत्ता दिया जाना चाहिए। इस मामले को वे मान्यता प्राप्त संगठन एनएफआईआर के माध्यम से रेलवे बोर्ड के स्तर पर उठाएंगे।