रेलवे की एक गलती से सामान्य विभागीय सीमित (जीडीसीई) परीक्षा पास करने के बाद भी दर्जनों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पदोन्नति के लिए विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। ट्रैकमैन, प्वाइंटमैन, गैंगमैन और गेटमैन, चपरासी और खलासी आदि ट्रेन चलाने की जगह अभी भी रेल लाइनों पर कार्य करने को मजबूर हैं। रेलवे प्रशासन ने आठ ग्रुपों में पदोन्नति के लिए आयोजित परीक्षा सात ग्रुप में (सहायक स्टेशन मास्टर, लिपिक व टीटीई आदि)  तैनाती की प्रक्रिया तो पूरी कर ली है। लेकिन सहायक लोको पायलट और तकनीशियन के पदों पर अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।

पदोन्‍नति करने की मांग तैनाती प्रक्रिया में पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन की उदासीनता को लेकर कर्मचारी संगठनों में आक्रोश है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त ने प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर यथाशीघ्र पदोन्नत की मांग की है। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री विनोद कुमार राय ने तैनाती में विलंब होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रवक्ता एके सिंह बताते हैं कि पूर्वोत्तर में शंटर के सैकड़ों पद खाली हैं, लेकिन रेलवे प्रशासन जानबूझकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं कर रहा है। जबकि करीब सिर्फ कुल 120 पदों पर ही पदोन्नति देनी है।

यह है रेलवे प्रशासन का तर्क  वहीं रेलवे प्रशासन का कहना है कि रिक्त पदों के सापेक्ष पहले ही अधिक पदों पर भर्ती कर ली गई है। अब नए सिरे से पदों का सृजन होने के बाद ही पदोन्नति की प्रक्रिया संभव है। जानकारों के अनुसार रेलवे बोर्ड की भर्ती प्रक्रिया में लगभग एक हजार पदों के सापेक्ष पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने करीब 1500 पदों का विज्ञापन निकाल दिया था। परीक्षा भी हो गई। भर्ती के समय होश आया तो मामला उजागर हुआ। अंतत: बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद सभी पदों पर अभ्यर्थियों की तैनाती दी गई। अब रेलवे प्रशासन पदों की कमी का रोना रो रहा है।

सहायक स्टेशन मास्टर व लिपिक के पदों पर हो चुकी है पदोन्नति पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने परीक्षा पास करने वाले 54  चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सहायक स्टेशन मास्टर और 46 कर्मियों को वाणिज्य सह टिकट लिपिक के पद पर पदोन्नति दे दी है। इन कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है। रेलवे प्रशासन योग्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सामान्य विभागीय सीमित (जीडीसीई) परीक्षा के जरिये आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।