आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) और नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवे (एनएफआइआर) ने रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड के सीईओ के समक्ष जबरन सेवानिवृत्ति का मामला उठाया है। यूनयिनों ने बताया कि 30 वर्ष सेवा देने वाले या 55 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके कर्मचारियों की समीक्षा हो रही है। इसको लेकर कर्मचारियों में भय और भ्रम की स्थिति बनी हुई है। रेलवे को इस भ्रम को समाप्त करना होगा। 

रेलमंत्री ने स्‍पष्‍ट की स्थिति रेलमंत्री पीयूष गोयल ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, इस पर कुछ काम चल रहा है। कर्मचारियों को घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि और मेहनत से अपने काम को अंजाम देने की जरूरत है। लार्सजेस पर चर्चा के दौरान महामंत्री ने कहाकि इसके एवज में जो सैल्यूट स्कीम लाई गई है, उससे कर्मचारियों का कोई भला होने वाला नहीं है । रेलमंत्री ने कहाकि लार्सजेस के मामले में अलग से बैठकर बात करें और ऐसा सिस्टम तैयार करें, जिससे स्कीम की उपयोगिता बनी रहे।

तीन घंटे तक चली बैठक एआइआरएफ के संयुक्त महामंत्री व एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता के अनुसार रविवार को तीन घंटे तक चली बैठक में बोनस का मामला भी प्रमुखता से उठाया गया। बैठक में एआइआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने रेलमंत्री पीयूष गोयल और सीईओ विनोद कुमार यादव को 18 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। साथ ही कहा कि इन सभी मामलों पर काफी समय से वार्ता चल रही है, ज्यादातर मामलों में सहमति भी हो चुकी है।  फिर भी आज तक आदेश जारी नहीं हो सका है। 

बोनस न मिलने से कर्मचारियों में बढ़ रहा गुस्‍सा महामंत्री ने कहाकि रेलकर्मचारियों ने कोरोना के समय माल ढुलाई में 15 फीसद से अधिक बढ़ोत्तरी की। इसके बाद भी अभी तक उनके बोनस का ऐलान नहीं किया गया है। इससे कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ता जा रही है। बैठक में आश्वस्त किया गया है कि रेलवे बोर्ड से कर्मचारियों के बोनस के मामले को वित्त मंत्रालय को भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्दी ही रेल कर्मचारियों के हित में बोनस का फैसला हो जाएगा। दैनिक जागरण ने 10 अक्टूबर के अंक में जबरन सेवानिवृत्ति के मामले को प्रमुखता से उठाते हुए 20 हजार रेलकर्मियों की नौकरी पर मंडरा रहा संकट शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।