एनएफआईआर के महामंत्री एम रघुवईया के मुताबिक कोरोना संकट के बीच 13 लाख रेल कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। तभी तो भारतीय रेल का पहिया घूम रहा है। इसके बावजूद, भारत सरकार रेल कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही है। इसलिए रेलकर्मी हड़ताल पर जाने को विवश हैं।

हाइलाइट्स:

  • कोरोना काल में भी देश की लाइफलाइन रेलवे को दिन रात चलाने वाले रेल कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं
  • रेलवे के मान्यता प्राप्त दो यूनियनों में से एक, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन एनएफआईआर ने बोनस और कुछ लंबित मांगों को लेकर देश भर में हड़ताल करने का ऐलान किया है
  • हालांकि, संगठन ने यह नहीं बताया है कि वे कब हड़ताल पर जा रहे हैं

कोरोना काल (Covid-19 Period) में भी देश की लाइफलाइन रेलवे (Railway) को दिन रात चलाने वाले रेल कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। रेलवे के मान्यता प्राप्त दो यूनियनों में से एक, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (NFIR) ने बोनस और कुछ लंबित मांगों को लेकर देश भर में हड़ताल करने का ऐलान किया है। हालांकि संगठन ने यह नहीं बताया है कि वे कब हड़ताल पर जा रहे हैं।

जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं रेलकर्मी
एनएफआईआर के महामंत्री एम रघुवईया (M Raghavaiah) ने मंगलवार को इस हड़ताल की रणनीति का खुलासा किया। उनका कहना है कि कोरोना संकट के बीच 13 लाख रेल कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। तभी तो भारतीय रेल का पहिया घूम रहा है। इसके बावजूद, भारत सरकार रेल कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही है। इसलिए रेलकर्मी हड़ताल पर जाने को विवश हैं।

रेल कर्मचारियों का 2,000 करोड़ रुपये पेंडिंग
उनके अनुसार, देश भर में रेल कर्मचारियों का करीब 2,000 करोड़ रुपये बोनस के रूप में पेंडिंग पड़ा है। इसका भुगतान सरकार की ओर से रेल कर्मचारियों को अभी तक नहीं किया गया है। रेलवे ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए रेल कर्मी कोरोना काल में भी काम कर रहे हैं। जिससे कोविड-19 संक्रमण के चलते अभी तक करीब 300 रेल कर्मचारी काल की गाल में समा चुके हैं। इन रेलवेकर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।

नवरत्न का निजीकरण
रघुवईया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कहा था क‍ि भारतीय रेलवे नवरत्‍न है। लेकिन, आज इसी नवरत्‍न के निजीकरण का काम चल रहा है। रेलवे परिचालन को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है। एनएफआईआर इसे बिल्‍कुल स्‍वीकार नहीं करेगा।

बोनस कर्मचारियों का हक
एनएफआईआर के प्रवक्‍ता एस एन मलिक (S N Malik) ने कहा क‍ि बोनस रेलवे कर्मचारियों का हक हैं, जिसे वह उत्‍पादन के आधार पर लेते हैं। वर्ष 2019-20 तक का लंबित बोनस रेलकर्मियों को मिलना ही चाहिए। यह वर्ष 1977 से लाखों रेलवे कर्मचारियों को अनवरत मिलता रहा है। इसके अलावा पेंशनर्स के महंभाई भत्‍ते की किश्‍त रोकी गई हैं, वह भी पूर्व रेलकर्मियों के साथ अन्‍याय है। सरकार कोरोना संकट के नाम पर इसे नहीं रोक सकती। एस एन मलिक ने कहा कि अगर भारत सरकार की यही नीति रही तो एनएफआईआर तमाम रेल कर्मचारियों के साथ खड़ी है और मांगों के पूरा न होने पर देशभर में रेल का चक्‍का रोक दिया जाएगा।