कोविड-19 में हुए घाटे को कवर करने के लिए रेलवे तमाम प्रयोग कर रही है, भले फिर इसमें कर्मचारियों के टीए की बात हो या फिर उनके ओवरटाइम ड्यूटी करने की। जबकि रेलवे में ही ऐसे कई काम दिखाई देते हंै, जिनकी जरूरत न होने के बाद भी किया जाता है और लाखों रुपए बर्बाद किए जाते हैं यह सब अधिकारियों की सहमति से ही होता है। रेलवे ने वर्तमान में कोविड-19 को ढाल बनाकर ड्यूटी टाइम में वृद्धि की है। जबकि रेलवे बोर्ड ने जोन के लिए जो आदेश किया था, उसमें ऐसे स्टेशनों को चुनने के लिए कहा गया था, जहां पर रेलवे को ओवरटाइम करने वाले कर्मचारियों को ओवरटाइम का भुगतान करना पड़ता था। इसलिए कर्मचारियों को ८ की बजाए १२ घंटे ड्यूटी करने पर उन्हें ओवरटाइम नहीं देना पड़ता, लेकिन उसके संबंध में जबलपुर जोन में पूरे मंडलों को एकजाई आदेश जारी कर काम कराया जा रहा है।


दरअसल जिस कोरोना काल में लोग घरों में रहे तो ठीक दूसरी तरफ यात्री टे्रनों को छोड़कर रेलवे की सेवा सुचारू रूप से चालू रहीं, जिसमें कर्मचारियों ने दिन-रात काम किया, लेकिन इसके बाद भी उनके साथ एक तरफा आदेश जारी कर ८ घंटे की बजाए १२ घंटे ड्यूटी कराई जा रही है। एक भी स्टेशन ऐसी नहीं है जहां पर आदेश जारी होने के बाद से लगातार विरोध प्रदर्शन नहीं किए जा रहे हों।

रेलवे यूनियन के पदाधिकारी आदेश जारी करने पहुंचे जबलपुर
रेलवे सूत्रों के अनुसार रेलवे की दोनों यूनियन डब्ल्यूसीआरएमएस व डब्ल्यूसीआरइयू के पदाधिकारी इस आदेश को निरस्त कराने की मांग को लेकर जबलपुर भी जा चुके है, लेकिन सक्षम अधिकारी के नहीं मिलने के कारण इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका है।

ड्यूटी समय कम करने लड़ी लंबी लड़ाई
प्वाइंटमेन से 8 की बजाए 12 घंटे ड्यूटी कराने के मामले में रेलकर्मियों ने लंबी लड़ाई लड़ी थी, जिसके बाद समय को कम किया गया था, लेकिन पूरे एक वर्ष भी उस आदेशानुसार काम नहीं कराया जा सका और फिर से १२ घंटे ड्यूटी कराई जाने लगी है तो वहीं जंक्शन पर पदस्थ कर्मचारियों को 8 घंटे ही ड्यूटी करना है।

Source:- Patrika