रेलवे में कार्यरत सहायक लोको पायलट और ट्रैक मेंटेनरों की स्वत: अनुरोध स्थानांतरण पर घर वापसी की राह आसान हो गई है। दूसरे जोन से रिलीव होकर आए रेलकर्मियों को अफसर अब जगह न होने का बहाना बनाकर लौटा नहीं पाएंगे। उन्हें हर हाल में तैनाती देनी होगी। अगर उनके मंडल में जगह नहीं है तो उन्हें दूसरे मंडल में संपर्क कर नियुक्त कराना होगा। रेलवे बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर डी. जोसेफ ने एक अक्तूबर 2020 को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
रेलवे में बहुत सारे ऐसे कर्मचारी हैं जो दूसरे जोन में कार्यरत हैं। ऐसे रेलकर्मियों के लिए स्वत: अनुरोध पर स्थानांतरण का नियम है। लेकिन दूसरे जोन से रिलीव होकर आए सहायक लोको पायलट और ट्रैक मेंटेनरों को जगह न होने की बात कहकर लौटा दिया जा रहा है।

जबकि ये रेलकर्मी रिलीव होने के पहले अपना सरकारी क्वार्टर भी छोड़ चुके हैं। इनकी दिक्कतों का जिक्र करते हुए पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री विनोद कुमार राय ने मान्यता प्राप्त संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मेन (एनएफआईआर) को अवगत कराया था। महामंत्री ने रेलवे बोर्ड के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इससे रेलकर्मियों को बड़ी राहत मिली है। दूसरे जोन से रिलीव होकर आए रेलकर्मी भटक रहे हैं, अब उन्हें तैनाती मिल जाएगी।


इस मामले पर बोर्ड ने लिया संज्ञान:- एनएफआईआर के जनरल सेक्रेटरी डॉ. एम राघवैया ने 18 सितंबर 2020 को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने एससी रेलवे से स्वत: अनुुुरोध पर स्थानांतरित होकर आए 15 रेलकर्मियों का मामला उठाया था। इन रेलकर्मियों को एनओसी जारी होने और रिलीव करने के बाद भी ज्वाइन नहीं कराया गया। इसमें एनईआर के वाराणसी मंडल में आए पांच सहायक लोको पायलट, मुगलसराय मंडल (ईसी रेलवे) में आठ सहायक लोको पायलट और दो ट्रैक मेंटेनर शामिल हैं। हालांकि इसके अलावा भी बहुत से रेलकर्मी अब ज्वाइनिंग के इंतजार में हैं।