दुर्गापूजा शुरू होने में अब सिर्फ 17 दिन बचे हैं। इसके बावजूद भी अब तक रेल कर्मचारियों को मिलने वाले बोनस की घोषणा नहीं हुई है। बोनस की घोषणा नहीं होने से रेल कर्मचारियों की धड़कन तेज हो गई हैं। महकमे में इसकी चर्चा भी होने लगी है कि कहीं कोरोना काल में उन्हें हर साल मिलने वाला बोनस छिन न जाए। बता दें कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने इस बार भी रेल कर्मचारियों के लिए 78 दिनों के बोनस की मांग की है। धनबाद रेल मंडल के 20 हजार कर्मचारियों में तकरीबन 36 करोड़ बंटेंगे। प्रत्येक रेलकर्मी की जेब में 17551 रुपए आएंगे। पिछले साल भी लगभग इतनी ही रकम बोनस के तौर पर कर्मचारियों के बैंक खाते में पहुंची थी।

इस बारे में ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के मीडिया प्रभारी एनके खवास ने बताया कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सह सीईओ को पत्र भी दिया है। फेडरेशन के महामंत्री की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि रेल कर्मचारियों को मिलने वाले उत्पादकता आधारित बोनस के लिए पिछले महीने सात अगस्त को ही रेलवे बोर्ड को पत्र दिया गया था। अभी तक इस मामले में बोर्ड स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बोनस को लेकर जल्द फैसला लेने का आग्रह फेडरेशन ने किया है।

इधर, रेल महकमे में यह बात भी जोर पकड़ने लगा है कि कोरोना काल में शायद ही कर्मियों को बोनस मिले। इससे निराश धनबाद रेलवे मंडल के एक तृतीय श्रेणी कर्मी ने बताया कि केंद्र सरकार तो पहले से ही रेल कर्मियों को मिलने वाली सुवाधाएं कम कर रही है। ऐसे में इस बार तो रेलवे के पास कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन का भी बहाना है। उन्होंने आगे कहा कि हां, यह बात सही है कि यात्री ट्रेने नहीं चलने से रेलवे को काफी नुकसान हुआ है, लेकिन मालवाहनों से कमाई में कोई कमी नहीं आई है। वैसे भी रेलवे को अब निजी हाथों में देने की तैयारी है तो ऐसे में हमारा बोनस इसबार सरकार देगी या नहीं, इसपर संशय है।