भारतीय रेलवे का एशिया में सबसे बड़ा नेटवर्क है और सरकार इसकी आधुनिकीकरण की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जिनमें से एक है देश में प्राइवेट ट्रेनों को चलाने की अनुमति। अभी भी ट्रेनों से यात्रा बाकियों के मुकाबले सबसे किफायती माना जाता है। आपने कई बार ट्रेनों से सफर किया होगा लेकिन ट्रेनों के कोच पर अलग रंगों में दिखने वाली धारियों पर कभी ध्यान दिया? क्या आपने उसे कभी जानने की कोशिश की कि ये किस लिए दिया गया है?
दरअसल, भारतीय रेलवे की तरफ से बहुत सारी चीजों को समझाने के लिए एक विशेष प्रकार के चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर- ट्रैक के किनारे और प्लेटफॉर्म पर दिए गए सिंबल। इन सभी सिंबल की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि व्यक्ति को उस चीज के बारे में बताने की जरूरत ना हो और वह इस सिंबल को देख कर आसानी से समझ जाए कि ये सिंबल क्या बता रहा है।
ट्रेनों के कोच पर ब्लू (blue) ICF कोच पर कोच के आखिर में खिड़की के ऊपर पीली या सफेद कलर की लाइनों या धारियों को लगाया जाता है जो कि वास्तव में इस कोच को अन्य कोच से अलग करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये लाइनें सेकेंड क्लास के unreserved कोच को दर्शाते हैं। जब स्टेशन पर ट्रेन आती है तो बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनकों इस बात की उलझन होती है कि जनरल डिब्बा कौनसा है, वैसे लोग इस पीली रंग की धारी को देख कर आसानी से समझ सकें की यही जनरल कोच है।
इसी तरह नीले/लाल पर ब्रॉड पीली रंग की धारियां शारीरिक तौर पर अक्षम और बीमार लोगों के कोच के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इसी प्रकार ग्रे (grey) पर हरी धारियों से संकेत मिलता है कि कोच केवल महिलाओं के लिए है। इन रंग पैटर्न को मुंबई, पश्चिमी रेलवे में केवल नए AutoDoor Closing EMU के लिए शामिल किया गया है। ग्रे (grey) रंग पर लाल रंग की धारी फर्स्ट क्लास के कोच को इंगित करती हैं।