PSBs to transfer officers completing 3 years: Central Vigilance ...

पदोन्नति होने पर तबादले के आदेश से बचने या देरी करने वाले रेलवे अधिकारियों को अपनी वरिष्ठता गंवानी पड़ सकती है। इस बात के संकेत रेलवे बोर्ड ने दिए हैं। बोर्ड द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ऐसी चाल का इस्तेमाल करने वालों की पदोन्नति कम से कम एक साल के लिए रोक दी जाएगी। रेलवे ने 2015 में विस्तृत तबादला नीति जारी की थी। इसमें कहा गया है कि नियंत्रण अधिकारी यह तय करेंगे कि जिस अधिकारी का तबादला किया गया है, उसे अधिकतम एक महीने में मुक्त कर दिया जाए।

हालांकि बोर्ड ने कहा है कि पदोन्नति होने पर एक जोन या यूनिट से दूसरी जगह स्थानांतरित होने वाले अधिकारी कई बार निर्धारित समय सीमा के भीतर आदेश को अमल में लाने में नाकाम रहते हैं। बोर्ड ने कहा कि वे तय अवधि के भीतर आदेश का पालन नहीं करते हैं और कोई न कोई वजह बताकर देरी या इससे बचने की कोशिश करते हैं। इससे न केवल उस रेलवे यूनिट/जोन को प्रशासनिक समस्या होती है जहां तबादले का आदेश जारी होने के बावजूद अधिकारी बना रहता है, बल्कि उस जगह भी परेशानी होती है जहां उसका तबादला किया जाता है।

बोर्ड ने आदेश में कहा है कि अपने स्थानांतरण या पदोन्नति आदेश पर अमल नहीं होने की बढ़ती प्रवृति को देखते हुए यह फैसला किया गया है।
रेलवे बोर्ड ने कहा कि अगर कोई अधिकारी तय अवधि के भीतर अपने तबादला सह पदोन्नति का पालन नहीं करता है तो इसे पदोन्नति लेने से इनकार माना जाएगा और अधिकारी को कम से कम एक साल के लिए ऐसी पदोन्नति से रोका जा सकता है। 

सूत्रों ने बताया कि रेलवे का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब कठिन और असुविधाजनक पोस्टिंग से अधिकारियों के बचने की कोशिशें बढ़ रही हैं। सभी सिविल कर्मचारी केंद्रीय सिविल सर्विसेज नियमों के तहत बंधे हुए हैं और प्रत्येक कैडर का अपने अंदर तबादला और पदोन्नति का अपना नियम है।