आए दिन बैंकों की अनियमितताओं को लेकर उनके नुकसान और बंद होने की बातें सामने आने लगी हैं। ऐसे में अगर कोई बैंक बंद हो जाता है तो बैंक में जमा आपका पैसा कितना सुरक्षित है, इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानकारी लेकर बता रहे हैं राजेश भारती।

हाइलाइट्स

  • आए दिन बैंकों को भारी नुकसान होने या घोटाले होने की आ रही हैं खबरें
  • हाल में पीएमसी बैंक का एनपीए बढ़ने पर आरबीआई ने उसपर कई पाबंदियां लगाईं
  • आरबीआई ने लोगों को महज 10 हजार की रकम निकालने की ही दी है मंजूरी
  • ऐसे में सवाल यह उठता है कि बैंक में जमा आपकी मेहनत की कमाई कितनी सेफ








रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से पंजाब और महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक के कामकाज पर बैन लगा दिया गया है। यह बैन बैंक की वित्तीय अनियमितताओं के कारण लगाया गया है। बैन के बाद इस बैंक के ग्राहक छह महीने में अपने अकाउंट से 10 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते। PMC के ग्राहक बैंक में जमा अपने पैसे को असुरक्षित समझने लगे हैं। जाहिर है, हमें भी इससे सबक लेने की जरूरत है। ऐसे में जानें, कितना पैसा आपको वापस मिल सकता है या नहीं…




1 लाख रुपये की गारंटी
बैंक चाहे सरकारी हों या प्राइवेट, विदेशी हो या को-ऑपरेटिव, इनमें जमा पैसाें पर सिक्यॉरिटी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी काॅर्पोरेशन (DICGC) की तरफ से उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए बैंक प्रीमियम भरते हैं। आपके बैंक अकाउंट में कितनी भी रकम जमा हो, गारंटी सिर्फ 1 लाख रुपये तक की होती है। इसमें मूलधन और ब्याज, दोनों शामिल हैं।

यही नहीं, अगर आपके किसी एक बैंक में एक से अधिक अकाउंट और FD आदि हैं तो भी बैंक के डिफॉल्टर होने या डूब जाने के बाद आपको एक लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है। यह रकम किस तरह मिलेगी, यह गाइडलाइंस DICGC तय करता है। वहीं ये 1 लाख रुपये कितने दिनों में मिलेंगे, इसे लेकर कोई समय-सीमा नहीं है। बैन हटने पर स्थिति पहले की तरह सामान्य हो जाती है।

ऐसे सुरक्षित रहेगा पैसा




1. को-ऑपरेटिव बैंक से पूछें सवाल
को-ऑपरेटिव बैंक की ओर से अधिक ब्याज मिलने की वजह से लोग अधिक आकर्षित होते हैं। को-ऑपरेटिव बैंक सेविंग्स, एफडी जैसी योजनाओं पर अन्य बैंकों की अपेक्षा ज्यादा ब्याज देते हैं। समझदारी इसमें है कि को-ऑपरेटिव बैंक में जाकर आप पूछ सकते हैं कि आखिर को-ऑपरेटिव बैंक दूसरे बैंकों की अपेक्षा ज्यादा ब्याज क्यों दे रहा है/को-ऑपरेटिव बैंक की वेबसाइट भी चेक करें। कुछ भी शंका वाली बात नजर आए तो वहां से कमाई निकाल लें।

को-ऑपरेटिव बैंक जहां पैसा इन्वेस्ट कर रहा है, उन कंपनियों की भी पड़ताल कर लें कि मार्केट में उनकी क्या स्थिति है। वे लाभ में चल रही हैं या घाटे में। बेहतर होगा कि सरकार बैंकों में अपना पैसा जमा करें। हो सकता है कि सरकारी बैंक से आपको ब्याज दर कुछ कम मिले, लेकिन को-ऑपरेटिव बैंकों के मुकाबले वहां पैसा सुरक्षित रहने के बहुत अधिक चांस होते हैं।

2. निवेश के दूसरे तरीके खोजें
जीवन में थोड़ा-सा रिस्क उठाएं। आपने बैंक एफडी में या किसी दूसरी जगह जो निवेश कर रखा है, उसे SIP के जरिए इक्विटी शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड आदि में लगाएं। हो सकता है कि पैसे कुछ समय के लिए फंस जाएं, लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए यह निवेश एफडी या अन्य निवेशों के मुकाबले फायदे का सौदा भी साबित हो सकता है।

3. यह सावधानी बरतें

अपनी पूरी बचत कभी भी एक ही बैंक या उसकी अलग-अलग ब्रांचों में न रखें। बैंक डूबने की स्थिति में एक बैंक के सभी अकाउंट को एक ही अकाउंट माना जाता है। ऐसे में बेहतर होगा कि सेविंग्स या करंट अकाउंट, एफडी या दूसरी बचत अलग-अलग बैंकों के अकाउंट में रखें।