रेलवे से इस्तीफा दिए बिना ही दूसरी जगह जॉइन करने वाले 1000 कर्मियों की दोनों नौकरियों पर खतरा

इस्तीफा दिए बगैर दूसरे संस्थान में नौकरी ज्वाइन कर लेने वाले पूर्व मध्य रेलवे के सोनपुर, समस्तीपुर, दानापुर, मुगलसराय व धनबाद मंडलों के करीब 1000 ग्रुप डी कर्मचारियों की दोनों नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है। न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के सेंट्रलाइज होने के कारण यह मामला पकड़ में आया। इसके बाद दोनों नियोक्ताओं ने इन कर्मचारियों का वेतन रोक कर इनसे स्पष्टीकरण पूछा है।








मुजफ्फरपुर में ऐसे 10 कर्मचारी हैं। रेलवे के सोनपुर समेत विभिन्न रेल मंडलों में ग्रुप डी में काम करने वाले एक हजार से अधिक कर्मचारी नौकरी छोड़ चुके हैं। इन सबने दूसरी जगह नौकरी पकड़ ली है या दूसरी जगह से छोड़ कर रेलवे में नौकरी कर रहे हैं। लेकिन, पहले वाले स्थान पर इन कर्मचारियों ने इस्तीफा दिया नहीं और दूसरी जगह नौकरी शुरू कर दी। इनमें ज्यादातर वैसे कर्मचारी हैं जो उच्चतर डिग्रीधारी हैं। इसी बीच रेलवे ने जब न्यू पेंशन स्कीम लागू कर सेंट्रलाइज व्यवस्था शुरू कर दी तो इन कर्मचारियों का रिकॉर्ड चेक किया गया। तब इन कर्मचारियों के दूसरी नौकरी जॉइन कर लेने की बात सामने आई। अब इन कर्मचारियों का वेतन दोनों नियोक्ताओं ने रोक दिया है।




ये है नियम 
नौकरी शुरू करने से पहले एग्रीमेंट होता है। रेलवे ने कम से कम 5 साल सेवा देने की शर्त रखी है। इससे पहले यदि नौकरी छोड़ते हैं तो रेलवे द्वारा ट्रेनिंग व अन्य खर्च के पैसे वापस करने का नियम है। सेंट्रलाइज व्यवस्था होने से पहले कर्मचारी बिना बताए नौकरी छोड़ कर चले जाते थे। लेकिन, इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद सब कुछ ऑनलाइन हो गया है और अब ऐसे मामले सामने आने लगे हैं।




ये है एनपीएस 
सरकार ने कर्मचारियों के लिए न्यू पेंशन स्कीम लागू की है। इसे नेशनल सिक्यूरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड एनएसडीएल से जोड़ा गया है। इससे कर्मचारी का आधार व पैन नंबर भी जुड़ा हुआ है। कर्मचारी का वेतन इसी व्यवस्था के तहत जारी किया जाता है। वहीं, फार्म-16 भी इसी के जरिए जारी होता है। इसके बाद ही वेतन मिलता है। यदि किसी कर्मचारी का एक जगह एनपीएस चालू है तो दूसरी जगह उसका एनपीएस नहीं शुरू हो सकता।

एनपीएस के बाद सिस्टम में ऐसे कर्मचारियों का वेतन ही नहीं बन पाएगा। उनका वेतन स्वत: बंद हो गया है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या कितनी है, इसका रिकॉर्ड मांगा गया है। इस्तीफा देने से पहले ट्रेनिंग का खर्च कर्मचारियों द्वारा वहन करने का नियम है। इसके बाद ही एनओसी दिया जाता है। -पंकज कुमार, एडीआरएम, सोनपुर मंडल