लोको डीजल कॉलोनी में करीब 250 में 80 फीसदी मकान किराये पर हैं। यह मकान रेल कर्मचारियों को मिले हैं, लेकिन मकानों में बाहरियों का कब्जा है। इसके लिए बकायदा रेल कर्मचारियों को किराया तक दिया जा रहा है।.

आपराधिक रिकॉर्ड वाले रहते मिले कॉलोनी में
आलमबाग और आसपास इलाकों में काम करने वालों के लिए आवास उनकी जागीर बन चुके हैं। सालों से लोग यहां रह रहे हैं। मकानों में एसी तक लगे हुए हैं और कोई पूछने वाला तक नहीं है। ऐसी हालत में रेलवे को बिजली चोरी से लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। रविवार आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) ने टीम बनाकर जांच की तो सारा खेल उजागर हुआ है।







आलमबाग बस अड्डे के पास बनी लोको डीजल (एलडी) कॉलोनी में लोको पायलट और रनिंग कर्मचारियों को आवास अलॉट किए गए हैं लेकिन कर्मचारियों ने इन मकानों को किराया पर उठा रखा है। दरअसल, रेल कर्मचारियों के बेसिक वेतन से आवास के नाम पर 10 प्रतिशत कटौती होती है। इसमें उनको आवास, बिजली और पानी रेलवे की ओर से मिलता है। वहीं, कर्मचारियों ने इन्हीं आवासों को आलमबाग और दूसरे लोगों को ज्यादा किराया लेकर सौंप दिया है। आरपीएफ इस मामले में एक-एक आवास की रिपोर्ट बना रही है। यह रिपोर्ट सोमवार को डीआरएम संजय त्रिपाठी को सौंपी जाएगी। इसके बाद ऐसे रेलकर्मचारियों पर शिकंजा कसा जाएगा जिन्होंने इसे किराए पर उठा रखा है।




सामुदायिक केंद्र पर भी कब्जा : 80 फीसदी मकानों पर किराएदार के बावजूद 20 फीसदी रेलकर्मचारी यहां रहते हैं। यह कर्मचारी बाहरी लोगों से तंग आ चुके हैं। दरअसल, बाहरियों ने यहां पर अपने दुकानें तक खोल डाली है। गंदगी का अंबार लगा दिया है। लड़ाई झगड़े होते रहते हैं, जिससे रेल कर्मचारियों को असुरक्षा महसूस होने लगी है। वहीं, सामुदायिक केंद्र पर भी इन्होंने कब्जा जमा लिया है। इन्हीं बातों से आजिज होकर रेल कर्मचारियों ने ही साथी कर्मचारियों के मकानों में किरायदार होने की सूचना और शिकायतपत्र तैयार कर रेलवे सुरक्षा आयुक्त को भेजा। इसके बाद ही कार्रवाई हुई है।.




रेल कर्मचारियों की मानें तो रेल कॉलोनियों की हालत खस्ता है। खिड़कियां नहीं हैं। गेट टूटे हैं। पानी नहीं है। सफाई नहीं होती। छतों से पानी टपकता है। बोरिंग फेल हो रखी है। शौचालय के गेट नहीं सुधारे जा रहे हैं। छतों और दीवारों पर दरारे जानलेवा बनी हुई हैं। ऐसे में कर्मचारी कैसे रह सकता है? रेल अधिकारियों को शिकायत करने पर भी कॉलोनियों को कभी सुधारा नहीं जाता। वहीं एक तरफ रेल कर्मचारी इन आवासों में किरायेदार रख मोटी रकम वसूल रहे हैं। वहीं, यहां रहने वाले लोगों ने अपने आवासों में एसी तक लगवा रखा है। बिजली फ्री होने के चलते सारा भार रेलवे पर पड़ रहा है। सालों से रह रहे इन लोगों ने अब तक रेलवे को लाखों का चूना लगा दिया है। .

किराए पर उठा दी लोको कॉलोनी। ‘ हिन्दुस्तान.

मामला सामने आया है। आरपीएफ रिपोर्ट बना रही है। रेल आवास से बाहरियों को निकाला जाएगा। रेल कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होगी। .

संजय त्रिपाठी, डीआरएम, उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल। .

शिकायत के बाद हुई छापेमारी में चौकी इंचार्ज शिवनारायण सिंह, आरपीएफ इंस्पेक्टर टीपी सिंह, एसएस गंगवार, उनि. पीके सिंह ने हर घर की जांच शुरू कर दी है। जांच में कई ऐसे लोग रहते मिले हैं, जिनके ऊपर से पहले से आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं। ऐसे लोग आवास लेकर चुपचाप रात के अंधेरे में एक या दो घंटे के लिए पहुंचते हैं ।