लेबर मिनिस्ट्री से एंटी-वर्कर समझे जाने वाले किसी भी कानून पर कदम रोकने को कहा गया

सालभर बाद होने वाले आम चुनाव को देखते हुए लेबर मिनिस्ट्री से कहा गया है कि वह उन विधेयकों को पास कराने में तेजी दिखाए, जो वर्कर फ्रेंडली हैं। मिनिस्ट्री से उन विधेयकों पर कदम रोकने या सुस्त करने को कहा गया है, जिन्हें देश के 50 करोड़ कामगारों के हितों के खिलाफ माना जा सकता है।








एक टॉप गवर्नमेंट ऑफिशियल ने बताया कि वेजेज, यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी के अलावा कमर्शियल यूनिट्स में कामकाज के दौरान सुरक्षा, सेहत और काम की स्थितियों से जुड़े लेबर कोड्स को फास्ट ट्रैक किया जा सकता है। हालांकि इंडस्ट्रियल रिलेशंस पर विवादित कोड पर कदम शायद न बढ़ाए जाएं जबकि वर्कर्स को आश्वस्त करने के लिए मूल विधेयक को नरम किया जा चुका है। इस कोड के कुछ हिस्से कामगारों को नौकरी से हटाना आसान बनाते हैं। इस कोड को 2015 में ड्राफ्ट किया गया था।




अधिकारी ने बताया कि इन विधेयकों को संसद में एक के बाद एक पेश किया जा सकता है क्योंकि ‘सरकार सोच रही है कि कोई भी राजनीतिक दल चुनावी साल में मजदूरों से जुड़े इन विधेयकों का विरोध नहीं करेगा।’ उन्होंने कहा, ‘इसके चलते सरकार को ये विधेयक पास कराने में आसानी होगी।’ लेबर मिनिस्ट्री ने इन कोड्स पर सलाह-मशविरे की प्रक्रिया तेज कर दी है और उसे इन्हें जल्द कैबिनेट के पास भेजने की उम्मीद है। इसके बाद इन्हें संसद में पेश किया जाएगा। वेजेज पर कोड्स को कैबिनेट मंजूर कर चुकी है और इस पर संसद की मुहर लगने का इंतजार है। अधिकारी ने बताया कि इसके बाद ऑक्युपेशनल सेफ्टी और सोशल सिक्योरिटी का नंबर आ सकता है।

वेजेज बिल में केंद्र को यह अधिकार देने की बात है कि वह सभी सेक्टरों के लिए मिनिमम वेज तय करे, जिसका पालन राज्यों को करना होगा। इसका मकसद इससे जुड़े चार नियमों को मिलाकर वेजेज की परिभाषा को दुरुस्त करना भी है। ये चार कानून हैं- मिनिमम वेजेज एक्ट 1948, पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट 1965 और इक्वल रेमुनेरेशन एक्ट 1976।




सोशल सिक्योरिटी से जुड़े कोड के तहत सरकार ने रिटायरमेंट, हेल्थ, ओल्ड एज, डिसेबिलिटी, अनएंप्लॉयमेंट और मैटरनिटी बेनेफिट्स देने के लिए एक बड़ी व्यवस्था का प्रस्ताव किया है।

ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ और वर्किंग कंडीशंस (OSH) से जुड़े ड्रॉफ्ट कोड में वर्कप्लेस पर ऐसी चीजें या स्थिति नहीं होने देने की बात है, जिनसे लोग घायल हो सकते हों या बीमार हो सकते हों। कोड में यह अनिवार्य करने की बात भी है कि कम से कम दस कर्मचारियों वाली यूनिट्स को हर एंप्लॉयी को अप्वाइंटमेंट लेटर देना होगा।

लेबर मिनिस्ट्री ने इंडस्ट्रियल रिलेशंस बिल पर लेबर कोड से जुड़े दो प्रस्ताव वापस ले लिए हैं, जिन पर विवाद हुआ था। इनमें से एक में 300 तक कर्मचारियों वाले कारखानों को सरकारी इजाजत के बिना कामगारों की छंटनी करने और कामकाज समेटने का अधिकार देने की बात थी। दूसरा प्रस्ताव यह सुनिश्चित करने का था कि किसी भी यूनिट में ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी को वहीं काम करने वाला होना चाहिए।