विधानसभामेंअभी हमारे सरोकारों को उठाने वाले 45 विधायक करोड़पति हैं, लेकिन हालत देखिए कि प्रदेश में जिंदगी भर सरकारी सेवाएं देकर रिटायर होने वाले सवा दो लाख कर्मचारी बुढ़ापे में पेंशन से वंचित हैं, लेकिन हमारे विधायक एक बार चुने जाने के बाद हर महीने 85 हजार की पेंशन के हकदार बन जाते हैं। एक-दूसरे पर राजनीतिक हमले का कोई मौका चूकने वाले हमारे ये जनप्रतिनिधि हर बार विधानसभा पहुंचने पर अपने वेतन-भत्ते और पेंशन बढ़ाने के प्रस्ताव सुर में सुर मिलाते हुए को पास करवा जाते हैं। ये जनप्रतिनिधि अगर एक चुनाव भी जीत जाएं, तो जिंदगी भर के लिए 85 हजार की पेंशन पक्की है। ज्यादा बार जीतते गए, तो ये पेंशन एक लाख 55 हजार तक पहुंच जाती है, लेकिन इन नेताओं की संपत्ति पर गौर करें, तो बृज बिहारी लाल बुटेल, बलबीर सिंह वर्मा, राम कुमार, वीरभद्र सिंह, अनिल कुमार तो करोड़ों के मालिक हैंं। गनीमत ये है कि हमारे प्रदेश के इन जन प्रतिनिधियों का आपराधिक रिकाॅर्ड दूसरे प्रदेशों से कहीं बेहतर है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एडीआर की रिपोर्ट ये बताती है।








विधानसभा मेंअभी हमारे सरोकारों को उठाने वाले 45 विधायक करोड़पति हैं, लेकिन हालत देखिए कि प्रदेश में जिंदगी भर सरकारी सेवाएं देकर रिटायर होने वाले सवा दो लाख कर्मचारी बुढ़ापे में पेंशन से वंचित हैं, लेकिन हमारे विधायक एक बार चुने जाने के बाद हर महीने 85 हजार की पेंशन के हकदार बन जाते हैं। एक-दूसरे पर राजनीतिक हमले का कोई मौका चूकने वाले हमारे ये जनप्रतिनिधि हर बार विधानसभा पहुंचने पर अपने वेतन-भत्ते और पेंशन बढ़ाने के प्रस्ताव सुर में सुर मिलाते हुए को पास करवा जाते हैं। ये जनप्रतिनिधि अगर एक चुनाव भी जीत जाएं, तो जिंदगी भर के लिए 85 हजार की पेंशन पक्की है। ज्यादा बार जीतते गए, तो ये पेंशन एक लाख 55 हजार तक पहुंच जाती है, लेकिन इन नेताओं की संपत्ति पर गौर करें, तो बृज बिहारी लाल बुटेल, बलबीर सिंह वर्मा, राम कुमार, वीरभद्र सिंह, अनिल कुमार तो करोड़ों के मालिक हैंं। गनीमत ये है कि हमारे प्रदेश के इन जन प्रतिनिधियों का आपराधिक रिकाॅर्ड दूसरे प्रदेशों से कहीं बेहतर है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एडीआर की रिपोर्ट ये बताती है।




प्रदेशमें 66 प्रतिशत विधायक इस समय करोड़पति हैं। 68 में से 45 विधायकों के पास अकूत धन है। कांग्रेस के 36 में से 27 विधायकों के पास करोड़ों की संपत्त है। बीजेपी के 27 में से 14 विधायक करोड़पति हैं। हिलोपा के एक और आजाद उम्मीदवार में 4 में से तीन विधायक करोड़पति है। प्रदेश में 7.19 करोड़ विधायकों की औसत संपत्ति है।

एडीआर की रिपोर्ट में 13 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज है। इसमें कांग्रेस के 10, भाजपा के 2 और एक मामला आजाद विधायक पर दर्ज है। आपराधिक मामलों की गंभीरता को देखा जाए, तो आशा कुमारी का नाम सबसे ऊपर है। दूसरे नंबर पर बीजेपी विधायक रविंद्र रवि, विनय कुमार, अनिरुद्ध सिंह, अनिल कुमार,बंबर ठाकुर, राम कुमार, किरनेश जंग, हंस राज, वीरभद्र सिंह, रवि ठाकुर, नीरज भारती और राकेश कालिया का नाम शामिल है।

2.28 लाख कर्मचारी पेंशन को तरसे…

हिमाचलज्ञान विज्ञान समिति के फाउंडर गोविंद चितरांटा ने कहा कि प्रदेश में 2.28 लाख कर्मचारी है। उन्हें वर्षों से पेंशन सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा और स्थायी नौकरी तभी मिलेगी अगर प्रदेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव होंगे। प्रदेश में पिछले दस सालों में चुनाव का स्तर बदल है। यह पूरी तरह से व्यवसायिक प्लेटफार्म बन कर रह गया है। चुनाव में खड़ा प्रत्याशी पहले पैसा लगाता है और चुनाव जीत जाने के बाद उसकी वसूली अपने तरीके से करता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। कृषि क्षेत्र को इग्नोर किया गया है। उन्होंने अपील की कि इस बार वो बिना किसी दबाव में कर अपना वोट कास्ट करे, ताकि राजनीति को सही दिशा की ओर ले जाया जा सके।

हमारे नेता करोड़ों की संपत्ति, पेंशन पर निर्भर…





एडीआरकी और से ओम प्रकाश भूरैटा ने शिमला में बताया कि इस रिपोर्ट को जारी करने का मकसद प्रदेश में लोगों को जन प्रतिनिधियों के बारे में जानकारी देना है। लोगों को इसलिए जागरूक करना जरूरी है, क्योंकि लोग अपने विवेक से वोट कास्ट कर सकें। उन्होंने कहा कि हमारे विधायक अकूत संपत्ति के मालिक होने के बाद भी पेंशन पर निर्भर हैं। रिपोर्ट में सुखद बात यह है कि अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश के विधायकों को ज्यादा गंभीर आपराधिक मामले नहीं है। यहां के विधायक अच्छी शैक्षणिक योग्यता वाले है।

NPS MLA

Source:- Dainik Bhaskar