7th Pay Commission – Central Government Employees eyeing June 2017 salary with new allowances, Please read this newspaper report published in Hindi daily:-

7वां वेतन आयोग : कर्मचारी है परेशान, अलाउंस कमेटी की रिपोर्ट की ये है आज तक की स्थिति

कर्मचारी यूनियनों के इस मुद्दे पर आपत्ति जताने के बाद सरकार ने गठित तीन समितियों में से एक को अलाउंस का मुद्दा दिया था. इस समिति ने करीब आठ महीने बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. वित्तमंत्रालय में यह रिपोर्ट अब पड़ी है.

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नई दिल्ली: सातवां वेतन आयोग (7th Pay Commission) की रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय कर्मचारी (Central employees) खुश हो या अफसोस मनाएं यह वे खुद समझ नहीं पा रहे हैं. कई विभागों में वेतन वृद्धि तो हो गई है, लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कर्मचारियों की आवाज बनकर यूनियन ने सरकार के समक्ष चिंता व्यक्त की है. कई चिंताओं में से एक चिंता अलाउंसेस (Allowances) को लेकर रही है.








कर्मचारी यूनियनों के इस मुद्दे पर आपत्ति जताने के बाद सरकार ने गठित तीन समितियों में से एक को अलाउंस का मुद्दा दिया था. इस समिति ने करीब आठ महीने बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. वित्तमंत्रालय में यह रिपोर्ट अब पड़ी है. नियम के अनुसार इस रिपोर्ट को कैबिनेट सेक्रेटरी के माध्यम से अब शक्ति संपन्न समिति यानी एम्पावर कमेटी (Empower Committee) के पास इस रिपोर्ट को भेजा जाता है. वहां पर इस इस प्रकार की रिपोर्ट पर समिति चर्चा के बाद एक कैबिनेट नोट तैयार करती है. इस नोट को सरकार की कैबिनेट बैठक में रखा जाता है. इसके बाद सरकार इस पर निर्णय लेती है.

अभी तक की सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार  सातवें वेतन आयोग पर कर्मचारी यूनियनों से चर्चा के बाद तैयार रिपोर्ट कैबिनेट सेक्रेटरी के पास अटकी है. यह रिपोर्ट अभी तक अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति (एम्पावर समिति) तक नहीं पहुंची है. यहां यह साफ है कि मामला अभी वित्तमंत्रालय से निकलकर कैबिनेट सचिव तक ही पहुंचा है. इससे यह भी है कि केंद्रीय कर्मचारियों (Central employees) को अभी और इंतजार करना होगा.




इस बारे में जब कर्मचारी नेता शिवगोपाल मिश्र से जब बात की गई तब उन्होंने कर्मचारियों में व्याप्त रोष के बारे में जानकारी दी. उनका कहना है कि सरकार इस पूरे मामले में देरी करने की नीति अपना रही है. सरकार को कर्मचारी के हितों की चिंता नहीं है.

उन्होंने बताया कि उन्हें कर्मचारियों के संयुक्त संघ जेसीएम की ओर से सरकार से वार्ता के लिए बनी समिति में 15 तारीख तक एजेंडा देने के लिए कहा गया था. लेकिन उन्होंने साफ कहा कि जब तक अलाउंस कमेटी की रिपोर्ट का कुछ पता नहीं चलता तब तक एजेंडा कैसे दिया जा सकात है.

शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कियह बहुत ही अफसोस की बात है कि, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार मकान किराया एवं अन्य भत्तों के जॉंच के लिए सरकार द्वारा वित्त सचिव अशोक लवासा की अध्यक्षता में गठित कमिटी की भत्तों पर की गई सिफारिश की रिपोर्ट अभी तक जेसीएम (स्टाफ साइड) को नहीं मिली हैं.

मिश्रा का कहना है कि दुर्भाग्य से आज तक, वित्त मंत्रालय द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार मकान किराया एवं अन्य भत्तों के संबंध न तो कोई निर्णय लिया गया, न ही भत्तों के जांच के लिए सरकार द्वारा गठित लवासा समिति की भत्तों पर की गई सिफारिश की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक किया गया है. अतः भत्ते के बारे में समिति की सिफारिशों का विश्लेषण किए बिना विसंगतियों को तैयार नहीं किया जा सकता.




जबकि दूसरी ओर, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने नए आदेश जारी करते हुए कहा है कि सातवां वेतन आयोग (Seventh Pay commission) के कार्यान्वयन में उत्पन्न होने वाले, केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्ते की भुगतान संबंधी विसंगतियों को हल करने की समय सीमा 15 नवंबर तक होगी.

मिश्रा ने कहा, जैसा कि हमने विभिन्न स्तरों पर, सचिव (डीओपीटी), कैबिनेट सचिव (भारत सरकार) इत्यादि समेत को स्पष्ट किया है कि, भत्ते के बारे में समिति की सिफारिशों का विश्लेषण किए बिना विसंगतियों को तैयार नहीं किया जा सकता.”

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