महंगाई भत्ता, पुरानी पेंशन बहाली के साथ युवाओं को रोजगार देने और निजीकरण के विरोध में 21 फरवरी को कर्मचारी लामबंद होंगे। राजकीय मुद्रणालय के श्रम हितकारी सभागार में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में राज्य और केंद्रीय संगठनों के सैकड़ों कर्मचारी मांगों पर आवाज उठाएंगे। इस सम्मेलन में राज्य और केंद्रीय संगठनों के कई शीर्ष नेता भी शिरकत करेंगे। इनमें अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा, उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा और दिवाकर सिंह, सचिव पुनीत त्रिपाठी प्रमुख वक्ता होंगे।

कंफडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट इम्प्लाइज एंड वर्कर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चंद्र पांडेय ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सरकार चुप्पी साधे हुए है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 65, 70 और 75 साल की उम्र होने पर पेंशन में वृद्धि नहीं की जा रही है। कहा कि इसी सरकार की स्टैंडिंग कमेटी ने क्रमश: 5, 10 और 15 प्रतिशत पेंशन वृद्धि की संस्तुति की थी जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया। वरिष्ठ नागरिकों को रेलयात्रा में मिलने वाली छूट भी बंद कर दी गई है। इन प्रमुख मांगों को लेकर कर्मचारी सम्मेलन के पार्लियामेंट सेशन में आवाज उठाएंगे।

कंफडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट इम्प्लाइज एंड वर्कर्स एसोसिएशन के महासचिव रवींद्र सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन में राज्य स्तर पर कम से कम 500 कर्मचारी और उनके प्रतिनिधि शामिल होंगे। सम्मेलन का मुख्य उदेश्य अलग-अलग विभागों में व्याप्त कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा और रणनीति बनाना है। राज्य कर्मचारी महासंघ के मंडल अध्यक्ष संजय मिश्रा ने बताया कि केंद्रीय आम बजट में एनपीएस रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली और संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांगों की अनदेखी की गई है। इस अनदेखी से प्रदेश के हजारों कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।

इधर, राज्य कर्मचारी महासंघ के जिला मंत्री घनश्याम पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में कर्मचारियों में महंगाई भत्ता का भुगतान नहीं किया गया। प्रदेश में करीब एक लाख और प्रयागराज में 10 हजार से अधिक कर्मचारियों का 18 महीनों का महंगाई भत्ता लंबित है। ऐसे में कर्मचारी संगठनों ने एकजुट होकर आवाज उठाने का निर्णय लिया है। इस सम्मेलन में सिंचाई विभाग, डाक विभाग, पीडब्ल्यूडी, एजी ऑफिस, गवर्नमेंट प्रेस, आयकर विभाग, शिक्षा विभाग, बिजली आदि विभागों से कर्मचारी और उनके प्रतिनिधि शामिल होंगे।