जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। इसमें एक आरटीआई आवेदक ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के कर्मचारी के खिलाफ अब तक हुई शिकायतों का पूरा ब्योरा मांगा था। केवी संगठन ने आवेदक को जानकारी देने से मना करते हुए कहा कि यह निजता का मामला है।

सेवाकाल में किसी कर्मचारी के कामकाज की प्रदर्शन रिपोर्ट निजी सूचना है, जो सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे से बाहर है। यह निजता के दायरे में आता है, लिहाजा नियोक्ता की ओर से इस तरह की सूचना आरटीआई आवेदक को उपलब्ध करवाना निजता का हनन होगा।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। एक आरटीआई आवेदक ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के एक कर्मचारी के खिलाफ अब तक हुई शिकायतों का पूरा ब्योरा मांगा था।

केवी संगठन ने आवेदक को जानकारी देने से मना करते हुए कहा कि यह निजता का मामला है। इस पर केंद्रीय सूचना आयोग ने आवेदक के पक्ष को सही ठहराते हुए पूरी सूचना देने के निर्देश दिए थे। केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

न्यायाधीश ताशी राबस्तन और न्यायाधीश सिंधु शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह की सूचना देना किसी की निजता का अनावश्यक अतिक्रमण होगा। कोर्ट ने कहा, एक कर्मचारी अथवा किसी अधिकारी का कामकाज में प्रदर्शन कर्मचारी और नियोक्ता के बीच का मामला है।

इसका किसी सार्वजनिक गतिविधि और सार्वजनिक हित से कोई संबंध नहीं है। इस आवेदन पर केवी संगठन के जन सूचना अधिकारी ने 1 मार्च 2014 को आरटीआई के तहत यह सूचना देने से इन्कार किया था। इसमें आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(जे) का हवाला दिया गया, जिसे अब हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया।