मई-जून और नवंबर-दिसंबर में इस तरह की छुट्टियां रेलकर्मी ज्यादा लेते हैं। ऐसी शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक के निर्देश पर सिक लीव की मानीटरिंग मुख्यालय व मंडल स्तर पर शुरू की गई है।

अब सच में बीमार हैं तभी छुट्टी के लिए आवेदन करें, बीमारी का बहाना बनाकर तफरीह करना रेलकर्मियों पर भारी पड़ सकता है। सिक लीव लेने पर बीमारी का स्टेटस, लोकेशन और इलाज का हिसाब रखा जाएगा। झूठ विभागीय कार्रवाई का कारण बनेगा।   

दरअसल, सिक लीव लेकर कर्मचारियों के घूमने जाने और शादी-विवाह के आयोजनों में शामिल होने की शिकायतें  रेल प्रशासन के पास आती रहती हैं। मई-जून और नवंबर-दिसंबर में इस तरह की छुट्टियां रेलकर्मी ज्यादा लेते हैं। ऐसी शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक के निर्देश पर सिक लीव की मानीटरिंग मुख्यालय व मंडल स्तर पर शुरू की गई है।

संबंधित सुपरवाइजर सिक लीव के रजिस्टर में पूरा ब्यौरा अंकित करेंगे। इसमें किस रेलकर्मी को कौन सी बीमारी है, इलाज कहां हो रहा है और वर्तमान में बीमारी का स्टेटस क्या है? इन सभी बिंदुओं को इंगित करेंगे। इसकी रिपोर्ट मंडल और मुख्यालय भेजेंगे। रेल प्रशासन का मानना है कि इससे कामकाज प्रभावित नहीं होगा, साथ ही अगर कोई सही में बीमार या चोटिल है तो उसका समुचित इलाज भी कराया जाएगा।

रेलकर्मियों को मिलने वाले महत्वपूर्ण अवकाश

  • सीएल : 08
  • एलएपी ( लीव एवरेज पे) : 30
  • एलएचएपी ( लीव ऑन हॉफ एवरेज पे) : 20


रेलवे अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है। ऐसे में जो कर्मचारी हर्ट ऑन ड्यूटी (एचओडी) हो जाते हैं, उनकी उचित देखभाल हो तथा सेफ्टी संबंधी मानक का अनुपालन हो सके, इसके लिए मॉनिटरिंग मंडल स्तर पर की जा रही है। इसी प्रकार सिक लीव पर रहने वाले कर्मियों के स्वास्थ्य की भी जांच की जा रही है। – पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे