रेलवे कर्मचारी की मौत होने के बाद उसके दिव्यांग संतान के पालनहार को पेंशन दी जाएगी। जब तक दिव्यांग जीवित रहेगा तब तक पालनहार को पेंशन मिलती रहेगी। इस व्यवस्था बाद माता-पिता की मौत के बाद दिव्यांगों को भटकना नहीं पड़ेगा। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जीवित रहने तक पेंशन दी जाती है। उसकी मौत होने के बाद उसकी पत्नी को जीवित रहने तक पारिवारिक पेंशन मिलती है। पत्नी की मौत के बाद विधवा बेटी, दिव्यांग संतान को पारिवारिक पेंशन दी जाती है।

पारिवारिक पेंशन लेने वालों को बैंक में खाता खोलना पड़ता है और प्रत्येक माह पेंशन लेने बैंक या एटीएम पर जाने की आवश्यकता होती। प्रत्येक साल नवंबर में बैंक जाकर जीवित होने का प्रमाण पत्र देना पड़ता है। वैसे दिव्यांग संतान जो मानसिक बीमार है या शारीरिक रूप से चलने में पूरी तरह से अस्वस्थ्य होते हैं, वह बैंक में खाता नहीं खुलवा पाते हैं और पेंशन नहीं निकाल नहीं पाते, जिससे इन्हें पेंशन नहीं मिल पाती है। पिता-माता की मौत के बाद ऐसे दिव्यांग को भटकना पड़ता है। ट्रेड यूनियन इस मामले को लगातार उठती रही है।

उसके पालनहार को पारिवारिक पेंशन देने की मांग करते आ रहे हैं। सरकार के उपसचिव संजय शंकर ने 19 जनवरी को पत्र जारी किया है, जिसमें कहा है कि मृतक कर्मचारी की संतान जो मानसिक रूप से पूरी तरह दिव्यांग है, कोर्ट द्वारा उसके लिए निर्धारित पालनहार को पारिवारिक पेंशन दी जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा पालनहार की निगरानी के लिए अधिकारी को नामित करेगा। जो समय समय पर दिव्यांग के बारे में जानकारी करेगा, पालनहार द्वारा उसका ठीक ढंग से देख भाल कर रहा है या नहीं। दिव्यांग के जीवित रहने तक पालनहार को पेंशन मिलती रहेगी।

इसके लिए नौकरी के दौरान ही दिव्यांग संतान की जानकारी रेल प्रशासन को उपलब्ध कराना पड़ेगा। नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के मंडल मंत्री राजेश कुमार चौबे ने मानसिक रुप से दिव्यांग संतानों को पारिवारिक पेंशन पालनहार को दिए जाने के लिए आल इंडिया रेलमैन फेडरेशन द्वारा मांग किया जा रहा था। इसके बाद यह आदेश जारी किया गया है। जिससे हजारों दिव्यांग संतानों को लाभ मिलेगा।