रेलवे अब ग्रुप बी के अधिकारियों के बराबर तनख्वाह पाने वाले कर्मियों (लेवल 6 व 7 वेतनमान) के लाभों में कटौती करने जा रहा है। इन कर्मचारियों को अराजपत्रित अधिकारी (ग्रुप बी) का दर्जा देकर उनका बोनस, राष्ट्रीय पर्व का वेतन और प्राइवेट आवास का भत्ता बंद करेगा। रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में सभी जोन के कार्मिक अफसरों को पत्र लिखकर ऐसे कर्मचारियों की सूची मांगी है।

रेलवे तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को हर दस साल में पदोन्नति प्रदान करता है। इस पदोन्नति में ग्रेड पे 4600 व इससे ऊपर का वेतनमान मिलने पर कर्मचारियों की तनख्वाह ग्रुप बी के अधिकारियों के बराबर पहुंच जाती है। ग्रुप बी के अधिकारियों के लेवल की शुरुआत आठ से होती है। वहीं, अगर कर्मचारी को समय पर पदोन्नति मिलती रहे तो वह 50 साल की उम्र तक डिपो इंचार्ज (सुपरवाइजर) तक का पद पा जाता है। इसके बाद भी अगर किसी वेतनमान का लाभ मिलता है तो उसका पद वही रहता है। रेलवे ने पाया कि ऐसे कर्मचारी तनख्वाह तो ग्रुप बी के अधिकारियों की तरह ले रहे हैं मगर सेवा उन जैसी नहीं दे पा रहे हैं। जैसे कि अधिकारी को 24 घंटे नौकरी पर आने के लिए तैयार रहना पड़ता है। सरकारी आवास में रहने की बाध्यता है। अगर वह निजी घर में रहते हैं तो उनको आवास भत्ता नहीं मिलेगा। जबकि बराबर की तनख्वाह पाने वाले कर्मी को आठ घंटे ही नौकरी ही करनी पड़ती है। बोनस, राष्ट्रीय पर्व का वेतन समेत अन्य लाभ भी मिलते हैं। निजी घर में रहने पर आवास भत्ता मिलता है।

रेलवे बोर्ड ने अब लेवल छह व सात वेतनमान का लाभ ले रहे कर्मचारियों की समीक्षा करना शुरू कर दी है। बोर्ड ऐसे कर्मियों को अराजपत्रित अधिकारी (ग्रुप बी) का दर्जा देकर उनके अतिरिक्त लाभों में कटौती करने की तैयारी कर रहा है। इससे रेलवे हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व की बचत कर सकेगा। इस संबंध में रेलवे बोर्ड एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (पे कमीशन सेकेंड) एमके गुप्ता ने सभी जोन के कार्मिक अफसरों से ऐसे कर्मियों की सूची मांगी है।


मंडल में एक हजार कर्मी
झांसी रेल मंडल के अलग-अलग विभागों में 16 हजार, वैगन मरम्मत कारखाना, कोच फैक्ट्री व सिथौली स्प्रिंग कारखाना में छह हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें एक हजार ऐसे कर्मचारी हैं जो अलग डिपो में इंचार्ज (सुपरवाइजर) की भूमिका निभा रहे हैं। इन कर्मचारियों को अपने पद के हिसाब से अंतिम पे स्केल (लेवल छह व सात) मिल चुका है। यह सब कर्मी ग्रुप बी के अधिकारियों के बराबर तनख्वाह में काम कर रहे हैं।