रेलवे के निजीकरण (PRIVATIZATION OF RAILWAYS) के संभावनाओं और उनसे उपजी चिंताओं के बीच रेलवे कर्मचारियों (RAILWAYS EMPLOYEES) की एक और परेशानी सामने आई है. कर्मचारियों से तयशुदा वक्त पर प्रोमोशन न देकर करिअर खराब करने का इल्जाम लगाया है.  रेलवे के ग्रुप ’बी’ ( GROUP -B) के 1,500 से ज्यादा अधिकारियों का करियर पदोन्नति में चार साल की देरी की वजह से मुतासिर हो रहा है. अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ ने यह बात कही है. उन्होंने कहा है कि इससे अधिकारियों का ’अपमान’ हुआ है और यह  उनका ’मनोबल को गिराने वाला’ है. समूह ’ब’ के अधिकारियों को रेलवे संचालन की रीढ़ माना जाता है क्योंकि वे रेल के डिब्बों और इंजन की मरम्मत और रखरखाव, रेल मरम्मत और निगरानी, सिग्नल प्रणाली और अन्य संचालनात्मक कार्यों में शामिल होते हैं.

सालों से जूनियर स्केल में काम कर रहे हैं अधिकारी
रेलवे संघ ने पिछले कुछ महीनों में इस मुद्दे पर रेलवे बोर्ड से कई अनुरोध किए हैं और इस बात पर रौशनी डाली है कि कैसे 2016 के बाद से पदोन्नति में देरी ने न केवल इन अधिकारियों के करियर की प्रगति में बाधा पैदा की बल्कि इनका अपमान भी हुआ है. भारतीय रेलवे अधिकारी पदोन्नति संघ (IRPOF) ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ सुनीत शर्मा को अक्टूबर में लिखे पत्र में कहा, ’’डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) की देरी और सीनियर स्केल पर तदर्थ पदोन्नति को खत्म करने की वजह से ग्रुप-बी के कुछ अधिकारी 14 साल से ज्यादा समय से जूनियर स्केल में काम कर रहे हैं.

जूनियर स्केल पर ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं कई अफसर 
ग्रुप-बी के कई अधिकारी जूनियर स्केल में ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं या सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. विभागीय पदोन्नति में देरी होने से पैदा हुए इस ठहराव के कारण वे अपमानित महसूस कर रहे हैं और उनका मनोबल गिर रहा है. IRPOF ने कहा है कि इस दयनीय स्थिति से निजात पाने के लिए समय पर विभागीय पदोन्नति कराना ही एक मात्र उपाय है.